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चिड़िया माँ की फिक्र - यह कविता चिड़िया माँ के बच्चों के प्रति अपार प्रेम और चिंता को दर्शाती है। चिड़िया माँ बच्चों के खाने-पीने का ध्यान रखते हुए बाहर जाती है, लेकिन अचानक बारिश शुरू हो जाती है। अपनी छतरी भूल जाने के बावजूद, वह जल्दी से जल्दी बच्चों के पास लौटने का वादा करती है। कविता में माँ के निस्वार्थ प्रेम और परिवार के प्रति उसकी फिक्र को उजागर किया गया है।
यह कविता बच्चों को यह सिखाती है कि माँ का प्यार निस्वार्थ और अटूट होता है। वह हर परिस्थिति में अपने बच्चों की सुरक्षा और जरूरतों का ख्याल रखती है। बच्चों के लिए यह संदेश है कि माँ की मेहनत और उनके योगदान की कद्र करनी चाहिए।
कविता सरल और बच्चों के लिए रोचक है, जो न केवल पढ़ने में मजेदार है, बल्कि एक गहरा संदेश भी देती है। यह बच्चों और बड़ों के बीच भावनात्मक जुड़ाव को गहराई से समझाने में मदद करती है।
चिड़िया माँ ने फोन उठाया,
झट बच्चों को फोन मिलाया।
अन का दाना मिला नहीं,
दूर बहुत मैं निकल गई।
छतरी घर पर भूल गई,
बारिश झम-झम तेज हुई।
बस पकड़कर झट पहुंचूंगी,
देर बिल्कुल नहीं करूंगी।
सपनों में बच्चों ने सोचा,
माँ लाएंगी मक्का-चोखा।
साथ में थोड़ा फल भी होगा,
जो सबका मन खुश कर देगा।
चिड़िया माँ ने दौड़ लगाई,
हर मुश्किल को पास हटाई।
फिसलन थी, पर थम न पाई,
बच्चों की याद उसे जो आई।
घर पहुंचकर जब गले लगाया,
बच्चों का चेहरा जगमगाया।
प्यार से दाना सबने खाया,
माँ के दिल को चैन आया।
सीख:
माँ का प्यार निस्वार्थ और अटूट होता है। वह हर हाल में अपने बच्चों की सुरक्षा और जरूरतों का ख्याल रखती है। बच्चों को माँ की मेहनत और उसके योगदान की कद्र करनी चाहिए। जीवन में प्यार और समर्पण से बड़ी कोई चीज़ नहीं।