हिंदी नैतिक कहानी: अपनों के लिए समय
एक पिता अपने काम से घर देर से पहुंचे। वह बहुत थके हुए और चिड़चिड़े हो रहे थे। जब वह घर पहुंचे तो उनका पांच साल का बेटा दरवाजे पर खड़ा उनका इंतजार कर रहा था।
एक पिता अपने काम से घर देर से पहुंचे। वह बहुत थके हुए और चिड़चिड़े हो रहे थे। जब वह घर पहुंचे तो उनका पांच साल का बेटा दरवाजे पर खड़ा उनका इंतजार कर रहा था।
जंगल के किनारे ऊंचे पेड़ पर कौआ अपना घोंसला बना रहा था। बनाते बनाते कौए को यह लगा कि अभी कुछ कमी है। उसने घोंसले के बीच में कुछ सूखी घास रख दी और खाली स्थानो को भी भर दिया।
कई दिनों से बारिश नहीं हो रही थी सभी परेशान थे जिनमें नंदिनी नाम की वह छोटी सी लड़की भी शामिल थी, नंदिनी ने जब घुमडते बादलों को देखा तो वह उनसे बोली- “ऐ मेघा तुम हमारे यहां क्यों नहीं बरसते देखते नहीं कितने परेशान हैं हम!”
कीर्ति, नेहा, सोनू, प्रिया और उनकी क्लास के बाकी साथी आज बहुत खुश थे, गर्मियों की छुट्टियों के बाद अभी स्कूल को खुले कुछ ही दिन हुए थे कि उन्हें पिकनिक पर ले जाया जा रहा था।
एक बार राजा मान सिंह ने राज्य में अंधे लोगों को भीख देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अंधा व्यक्ति भीख लेने से छूट न जाए।
बारिश थम चुकी थी। चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। पानी से धुले पेड़ों पर एक नयी छटा दिख रही थी। मधुमक्खी एक खिले हुये फूल पर मडंरा रही थी। वह सारे उपवन में घूम-घूम कर अपने छत्ते पर ले जाने के लिये परागकण एकत्र कर रही थी।
जंगल में दो प्रकार के जानवर थे। शेर-चीता आदि मासांहारी थे, हिरण, नीलगाय, खरगोश, कछुआ आदि शाकाहारी वन्य प्राणी थे। दोनों वर्गों के प्राणी एक दूसरे से अलग अलग रहते थे।