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हिरण और कछुआ
हिंदी जंगल कहानी: हिरण और कछुआ:- जंगल में दो प्रकार के जानवर थे। शेर-चीता आदि मासांहारी थे, हिरण, नीलगाय, खरगोश, कछुआ आदि शाकाहारी वन्य प्राणी थे। दोनों वर्गों के प्राणी एक दूसरे से अलग अलग रहते थे। शाकाहारी जानवरों में परस्पर अच्छी मित्रता थी। एक बार हिरण तालाब पर पानी पीने आया। यहां एक कछुआ भी रहता था। (Stories | Jungle Stories)
हिरण ने कछुए को सोता देख कर कहा, “मैंने कहानी सुनी है कि तुमने खरगोश को दौड़ में हरा दिया था। क्यों न एक बार हमारी-तुम्हारी दौड़ हो जाये”।
कछुए का कोई इरादा हिरण का प्रतियोगी बनने का नहीं था पर उस हिरण की शेखी बर्दाशत नहीं हुई। उसने अपनी कमजोरी जानते हुए भी चुनौती स्वीकार कर ली।
सभी शाकाहारी जानवर कछुए और हिरण की दौड़ का मजा लेने के लिए अगले दिन तालाब के किनारे एकत्र हो गये। बन्दर को...
सभी शाकाहारी जानवर कछुए और हिरण की दौड़ का मजा लेने के लिए अगले दिन तालाब के किनारे एकत्र हो गये। बन्दर को रेफरी बनाया गया। बन्दर ने चिल्ला कर खों..खों. की आवाज लगाई और दौड़ शुरू हो गई। (Stories | Jungle Stories)
उसी समय जंगल में शिकारियों का एक समूह आया हुआ था हिरण अभी भाग कर थोड़ी दूर ही पहुंचा था कि शिकारी ने उसे देख लिया। उसने हिरण का पीछा किया और निशाना लगा कर बन्दूक चला दी। गोली हिरण के पैर में लगी वह भाग कर एक घनी झाड़ी में छिप गया। शिकारी निराश होकर जंगल से लौट गया।
कुछ दिन बाद पैर का घाव ठीक हो गया और हिरण की भेंट कछुए से हुई। हिरण ने पूछा? “मैं इतना तेज भागता हूं फिर भी मुझे इतनी गहरी चोट लग गई तुम इतना धीरे चलते हो फिर भी बच गये। ऐसा कैसे हुआ?” (Stories | Jungle Stories)
कछुए ने उत्तर दिया, “मैंने कुछ नहीं किया- जैसे ही मैंने शिकारियों को देखा, मैंने अपने पैर अन्दर सिकोड़ लिये और चुपचाप एक जगह रूक गया। मेरी मोटी खाल के अतिरिक्त शिकारियों को कुछ भी चलता हुआ नहीं दिखाई पड़ा”।
हिरण को सुनाते हुये कछुए ने अपनी बात जारी रखी “प्रकृति ने तुझे तेज दौड़ने की शक्ति दी है। ताकि तुम अपनी रक्षा कर सको। दूसरे जानवरों को भी प्रकृति ने अपनी रक्षा के लिए अन्य प्रकार की व्यवस्था की है। किसी को भी अपनी शक्ति का अहंकार नही करना चाहिए”।
बात तो ठीक है, सोचता हुआ हिरण तेजी से दौड़ कर अपने झुंड में जा मिला। (Stories | Jungle Stories)