Stories Jungle Story: नहले पे दहला भोला भालू ने जंगल में मिठाई की दुकान खोल रखी थी। उसकी मिठाईयां स्वादिष्ट भी होती थीं और बिकती भी खूब थीं। भोला भालू बहुत भोला था। अपने परिवार में तो क्या, आस-पड़ोस में भी यदि कोई जानवर बीमार पड़ जाता तो वह सेवा में लगा रहता। By Lotpot 15 Dec 2023
Stories Moral Story: लालसा एक फकीर ने एक सम्राट के द्वार पर दस्तक दी। सुबह का वक्त था और सम्राट बगीचे में घूमने निकला था। संयोग की बात थी कि सामने ही सम्राट मिल गया। फकीर ने अपना पात्र उसके सामने कर दिया। सम्राट ने कहा, ‘क्या चाहते हो?’ By Lotpot 06 Dec 2023
Stories Motivational Story: जुड़वा भाई एक बार की बात है, दो जुड़वा पोलर बेयर थे। माँ की देख -रेख में दोनों के दिन अच्छे गुजर रहे थे कि एक दिन माँ ने ऐलान कर दिया, ‘‘कल से तुम्हे खुद अपना ख्याल रखना होगा। By Lotpot 10 Dec 2023
Stories Moral Story: अदभुत आंनद एक संत को अपना भव्य आश्रम बनाने के लिए धन की जरूरत पड़ी। वह अपने शिष्य को साथ लेकर धन जुटाने के लिए लोगों के पास गए। घूमते-घूमते वह सूफी संत राबिया की कुटिया में पहुँचे। By Lotpot 08 Dec 2023
Stories Motivational Story: कर्तव्यहीनता बहुत पहले की बात है, एक गांव में एक संत रहते थे। उनके बारे में सब लोग यही मानते थे कि वह अत्यंत विद्वान तथा त्यागी तपस्वी थे। वह सुबह उठते तो नहा-धोकर तपस्या करने बैठ जाते। शाम होती तो भगवान की उपासना होती। By Lotpot 09 Dec 2023
Stories Moral Story: जीवन की भागम-भाग एक गुरूजी गुरूकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। वहां बड़े-छोटे सभी घरों के बच्चे पढ़ते थे। शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी। सभी घर लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी गुरू जी वहां आ गए। By Lotpot 08 Dec 2023
Stories Fun Story: दो का फायदा या सबका लाभ एक शहर में दो चोर रहते थे। छोटी-मोटी चोरी करके अपना गुज़ारा चलाते थे। वे दोनों बचपन के दोस्त थे? साथ साथ रहते थे खेलते कूदते थे। जब बड़े हुए तो उन दोनों का ध्यान चोरी की तरफ गया। By Lotpot 08 Dec 2023
Stories Moral Story: अनजाने कर्म का फल एक राजा ब्राह्मणों को महल के आँगन में भोजन करा रहा था। राजा का रसोइयां खुले आँगन में भोजन पका रहा था।उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के ऊपर से गुजरी। By Lotpot 07 Dec 2023
Stories Fun Story: बाबापुर की रामलीला हर वर्ष दशहरे से पूर्व काशी की नाटक मंडली विजयनगर आती थी। सामान्यतः वे राजा कृष्णदेव राय तथा विजयनगर की प्रजा के लिए रामलीला किया करते थे। परंतु एक बार राजा को सूचना मिली कि नाटक मंडली विजयनगर नहीं आ रही है। By Lotpot 06 Dec 2023