"सुख और दुःख मन की देन है" – प्रेरणादायक कहानी
एक गुरु के दो शिष्य थे, जो दोनों ही किसान थे। वे ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे और स्वच्छता एवं सादगी को महत्व देते थे। हालांकि, दोनों की परिस्थितियाँ एक जैसी होते हुए भी उनमें एक बड़ा सुखी था,
एक गुरु के दो शिष्य थे, जो दोनों ही किसान थे। वे ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे और स्वच्छता एवं सादगी को महत्व देते थे। हालांकि, दोनों की परिस्थितियाँ एक जैसी होते हुए भी उनमें एक बड़ा सुखी था,
सोनजूही छोटा सा गांव था। धरमचन्द वहाँ का मुखिया था । उसके पास काफी खेती बाड़ी थी । फसल भी खूब होती। किसी चीज की कमी उसे नहीं थी। जाड़े का मौसम था । धरमचन्द के पास एक कोट था बहुत पुराना ।
विख्यात दार्शनिक एरिक हाॅफर बचपन से ही काफी मेहनती और स्वाभिमानी थे। वह कठिन से कठिन काम करने से भी नहीं घबराते थे। उनका मानना था कि मेहनत से ही असली पहचान बनती है।
एक दिन एक जिज्ञासु व्यक्ति भगवान बुद्ध के पास पहुंचा और उनसे जीवन के मूल्य का अर्थ पूछा। बुद्ध ने मुस्कुराते हुए एक चमकदार पत्थर दिया और कहा, "जाओ, इस पत्थर की कीमत पता करो, लेकिन इसे बेचना मत।
एक बार एक इंसान घने जंगल में भागते-भागते भटक गया। अंधेरा छा चुका था, और उसे रास्ता नहीं सूझ रहा था। अचानक वह एक कुएं में गिरने लगा, लेकिन कुएं के ऊपर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई।
प्राचीन काल की बात है। गौतम बुद्ध एक गाँव से गुजर रहे थे। उन्हें देखकर गाँव के कुछ लोग उनका उपहास करने लगे। उनकी वेशभूषा देखकर उन्होंने ताने मारे और अपमानजनक बातें कही।
एक समय की बात है। एक गांव में कुछ मजदूर पत्थर के खंभों को तराशने का काम कर रहे थे। उसी समय, एक संत वहां से गुजरे। उन्होंने एक मजदूर से पूछा, "भाई, यहां क्या बन रहा है?