Motivational Story: तिरंगे का सम्मान
स्वतंत्रता दिवस का एक दिन शेष था। विद्यालय में बच्चों ने दिनभर 15 अगस्त के कार्यक्रमों की तैयारी की। शशांक भी पूरे दिन की तैयारी से थक कर लौटा था। सोते समय वह माँ से कहने लगा- ‘माँ! मैं सोने के लिए जा रहा हूँ।
स्वतंत्रता दिवस का एक दिन शेष था। विद्यालय में बच्चों ने दिनभर 15 अगस्त के कार्यक्रमों की तैयारी की। शशांक भी पूरे दिन की तैयारी से थक कर लौटा था। सोते समय वह माँ से कहने लगा- ‘माँ! मैं सोने के लिए जा रहा हूँ।
एक बार एक व्यक्ति स्वेट मार्डेन के पास आया और उनसे बोला, ‘सर, मैं काम करने की इच्छा रखता हूँ, लक्ष्य मैंने निर्धारित कर लिया है और आवश्यक साधन भी मेरे पास हैं।
रैकेट बॉल (टेनिस) की विश्व चैंपियनशिप का फाइनल मैच चल रहा था। रुबेन गॉनजेलिस फाइनल मैच खेल रहे थे। उनके प्रतिद्वंदी और उनमें कड़ी टक्कर थी। दर्शक सांस रोके मैच देख रहे थे।
एक सेनापति था, नाम था दुर्जन सिंह सेनापति दुर्जन सिंह बहुत वीर और साहसी व्यक्ति थे। युद्ध क्षेत्र में शत्रुओं को पछाड़ने के लिए वे स्वंय हाथ में भाला और धनुष बाण लेकर कूद पड़ते थे।
पुराने समय की बात है रत्नपुर राज्य में रामसिंह नामक एक राजा राज करता था। उसकी रानी का नाम रूपवती था। वह बहुत सुन्दर थी राजा उसे इस कदर चाहता था कि गंभीर मामलों में भी अपनी रानी की सलाह लिए बिना काम नहीं करता था।
कई वर्ष पूर्व सर्दियों की एक शाम इंगलैंड के पश्चिमी तट पर किसी जगह मछुआरों के एक छोटे से गांव को तूफान का प्रकोप झेलना पड़ा। वर्षा और आंधी में जैसे मुकाबला छिड़ा हुआ हो।
देखने में तो कविता लापरवाह और बुद्धू सी लगती थी परन्तु थी बहुत होशियार। चलते-फिरते उठते-बैठते यहां तक कि सोते में भी वह बहुत चैकन्नी रहती थी। छोटी से छोटी बात पर भी उसका ध्यान अनायास ही चला जाता था।