Moral Story: विश्वास की दवा
श्यामपुर के वैद्य जगन्नाथ जी एक माने हुए वैद्य थे। स्वयं की बनाई दवाईयों से वह लोगों की शारीरिक समस्याओं को बिल्कुल दूर कर देते थे और गए से गए रोगियों के रोग दूर करके उन्हें तुरन्त खड़ा कर देते थे।
श्यामपुर के वैद्य जगन्नाथ जी एक माने हुए वैद्य थे। स्वयं की बनाई दवाईयों से वह लोगों की शारीरिक समस्याओं को बिल्कुल दूर कर देते थे और गए से गए रोगियों के रोग दूर करके उन्हें तुरन्त खड़ा कर देते थे।
धर्मपुर के राजा मंगलदेव बड़े ही प्रतापी थे। उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी। मंगलदेव हमेशा अपनी प्रजा के हित के बारे में सोचते रहते थे इसी कारण वहां की प्रजा उन्हें बहुत चाहती थी। मंगलदेव का एक पुत्र था बलवन्तदेव।
बहुत पुराने समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक गरीब रहता था। वह मूर्तियों का निर्माण करके, उन्हें गांव-गांव बेचकर अपना जीवन निर्वाह करता था। इससे वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी ही जुटा पाता था।
भगवान श्रीकृष्ण को उज्जयिनी के सुविख्यात विद्वान और धर्मशास्त्रों के प्रकांड पंडित ऋषि संदीपनी के पास विद्या अध्ययन के लिए भेजा गया। ऋषि संदीपनी भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा को एक साथ बिठाकर शास्त्रों की शिक्षा देने लगे।
विश्व विजयी सिकन्दर अपनी विशाल सेना के साथ ईरान देश को जीत कर बड़े अभिमान से जा रहा था। सड़क के दोनों ओर हज़ारों आदमी सिर झुकाये हुए उसकी दया दृष्टि के लिये लालायित खड़े हुए थे।
संत दादू दयाल अपनी सादगी और सहनशीलता के लिए सर्वत्र विख्यात थे। एक बार एक थानेदार घोड़े पर सवार होकर उनके दर्शन को चल पड़ा। संत दादू फटे-पुराने वस्त्र पहने एक पेड़ की छाया में बैठे कुछ काम कर रहे थे।
गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूल फिर से खुल गये थे। राम जो कि अपनी कक्षा में हमेशा सर्व प्रथम आता था। हर साल की तरह इस बार भी सर्व प्रथम आकर अगली कक्षा में चला गया था।