जंगल का दोस्ताना मुकाबला
एक घने जंगल में सभी जानवर खुशी-खुशी रहते थे। वहां शेर, हाथी, हिरण, बंदर, और खरगोश जैसे अनेक जानवर थे। जंगल में हर साल एक बड़ा खेल प्रतियोगिता होती थी, जिसमें सभी जानवर भाग लेते थे।
एक घने जंगल में सभी जानवर खुशी-खुशी रहते थे। वहां शेर, हाथी, हिरण, बंदर, और खरगोश जैसे अनेक जानवर थे। जंगल में हर साल एक बड़ा खेल प्रतियोगिता होती थी, जिसमें सभी जानवर भाग लेते थे।
पतझड़ का मौसम अपने अंतिम चरण में था। जंगल के हर कोने में हलचल थी। सभी जानवर और कीड़े-मकोड़े सर्दियों के लिए अपने भोजन का भंडारण कर रहे थे। पक्षी पत्तियों से गिरे बीज उठा रहे थे,
एक घने जंगल में, दो उल्लू एक पुराने पेड़ की मोटी डाल पर आ बैठे। दोनों उल्लू अपने-अपने शिकार को पकड़े हुए थे। पहले उल्लू के मुँह में एक फुफकारता हुआ साँप था, जो उसके सुबह के नाश्ते के लिए लाया गया था।
जंगल का एक कोना हमेशा शांत रहता था। यहां ऊँचे-ऊँचे पेड़, मीठे झरने, और पक्षियों की चहचहाहट का साम्राज्य था। इसी जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जिसका नाम मिठू था।
नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
दीपावली के चार दिन रह गए थे लोटपोट के सभी बच्चों में उत्साह था। सबको अपने अपने घर से आतिशबाजी खरीदने के लिए पैसे मिल चुके थे। वीनू और टीनू को भी।
हाथी दादा की दुकान पर जिराफ काका पहुंचे। यह बाल्टी कितने की है? जिराफ काका ने एक बड़ी बाल्टी को उलट पुलट कर पूछा, दो सौ रूपये की है। हाथी दादा ने कहा, बहुत मजबूत है।