प्रेरणादायक कहानी- सूरज को वापस कौन लाएगा
झील के किनारे पर्वत की तलहटी में एक गांव था। गांव के निवासी खेती करते थे, कुछ भेड़ें पालते थे, और कुछ कपड़े, जूते, मिट्टी के बर्तन, खुर्पा आदि बनाते थे। सभी में परस्पर बहुत प्रेम था, और कोई भी खुशी या
झील के किनारे पर्वत की तलहटी में एक गांव था। गांव के निवासी खेती करते थे, कुछ भेड़ें पालते थे, और कुछ कपड़े, जूते, मिट्टी के बर्तन, खुर्पा आदि बनाते थे। सभी में परस्पर बहुत प्रेम था, और कोई भी खुशी या
रवि गरीब लड़का था। उसके पिताजी का निधन हो चुका था। उसकी माता घर पर सिलाई मशीन चलाकर मुहल्ले वालों के कपड़े सिलकर अपना तथा रवि का गुजारा चलाया करती।
दक्षिण भारत के राजा थे, उनका नाम था चेर। कम्बन उनके राजकवि थे। कम्बन ने ही तमिल में रामायण लिखी थी। राजा चेर के दरबार में बहुत से कवि थे। लेकिन राजा कम्बन को सबसे ज्यादा मानते थे।
करीब तीन सौ वर्ष पहले की बात है। गढ़वाल के पूर्वी क्षेत्र खैरागढ़ में राजा भानशाही का शासन था। राजा सदैव प्रजा के हित का ध्यान रखता था, अत: उसकी प्रजा बहुत सुखी और प्रसन्न थी।
करीब 550 वर्ष पहले की बात है, यूरोप में उन दिनों कई छोटे-छोटे राज्य थे। प्रत्येक राज्य एक दुसरे का दुश्मन था। अक्सर उनमें युद्ध होता रहता था। सिलो और मेडोन ऐसे ही राज्य थे।
एक बार चैतन्य महाप्रभु और रघुनाथ पण्डित नौका विहार कर रहे थे। बातचीत के दौरान महाप्रभु ने कहा, मैंने न्याय शास्त्र पर एक ग्रंथ की रचना की है। मेरी इच्छा है कि उसका कुछ अंश आपको सुनाऊँ।
घटना नेपोलियन के राज्यकाल की है। पेरिस की एक जेल में जर्मन के एक सैनिक को बंदी बनाकर रखा हुआ था। सर्दी का मौसम था। कुछ देर पहले बर्फ भी पड़ चुकी थी, उस कारण शीत लहर जोरों पर थी।