Jungle Story: घमंडी शेर
एक जंगल में एक घमंडी शेर रहता था। वह हमेशा जंगल के जानवरों को भय दिखा कर डराया करता था। एक दिन वह घूमता हुआ जंगल के मुख्य रास्ते पर पहुँच गया। तभी अचानक उसे एक भैंस तेजी से उसकी ओर दौड़ती हुई नजर आई।
एक जंगल में एक घमंडी शेर रहता था। वह हमेशा जंगल के जानवरों को भय दिखा कर डराया करता था। एक दिन वह घूमता हुआ जंगल के मुख्य रास्ते पर पहुँच गया। तभी अचानक उसे एक भैंस तेजी से उसकी ओर दौड़ती हुई नजर आई।
एक वन में हाथियों का एक झुंड रहता था। झुंड के सरदार को गजराज कहते थे। वो विशालकाय, लम्बी सूंड तथा लम्बे मोटे दांतों वाला था। खंभे के समान उसके मोटे मोटे पैर थे। जब वो चिंघाड़ता था तो सारा वन गूंज उठता था।
सूर्य अस्त हो चला था। आकाश में बादल छाए हुए थे। नीम के एक पेड़ पर ढेर सारे कौवे रात बिताने के लिए बैठे हुए थे। कौवे अपनी आदत के अनुसार, आपस में एक-दूसरे से काँव-काँव करते हुए झगड़ रहे थे।
यह बदले की भावना भी बड़ी विचित्र है। इन्सान तो क्या जानवर भी इससे अछूते नहीं रह पाते। एक समय की बात है एक घने जंगल में एक गीदड़ और लोमड़ी रहा करते थे। यूं कहने को तो वे मित्र थे।
तीन भाई थे जिनके नाम नीले, पीले और लाली थे, वह तीनों तितली थे। वह तीनों सबसे सुंदर तितलियां थे और एक दूसरे के सबसे अच्छे मित्र भी थे। उनकी माँ रंगबिरंगी ने उन्हें सारी बातें सिखाई थी।
चंपक वन में चीकू बन्दर, मीकू खरगोश और नीटू लोमड़ की बहुच चर्चा थी। चंपक वन के निवासी जानवर उनकी दोस्ती की मिसाल दिया करते थे। वन में कोई विद्यालय नहीं था। अतः वे तीनों पड़ोस के वन में पढ़ने जाया करते थे।
गजराज हाथीदादा को जब भी अपने दैनिक निजी कार्यों से फुरसत होती तो तुरन्त ही नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र जपना शुरू कर देते थे। कभी किसी ने उन्हें व्यर्थ में समय गंवाते नहीं देखा था। उनका मन सदा ईश्वर में एकाग्र रहता था।