चेलाराम ई-कॉमिक्स: चेलाराम और लंबा नाम
गर्मी की छुट्टियां ख़त्म हो चुकी थीं, कुछ बच्चे ख़ुशी ख़ुशी तो कुछ छुट्टियां ख़त्म होने की वजह से उदास मन से स्कूल पहुंचे थे। चेलाराम तो हमेशा की तरह ख़ुशी ख़ुशी स्कूल पहुँच चुके थे।
गर्मी की छुट्टियां ख़त्म हो चुकी थीं, कुछ बच्चे ख़ुशी ख़ुशी तो कुछ छुट्टियां ख़त्म होने की वजह से उदास मन से स्कूल पहुंचे थे। चेलाराम तो हमेशा की तरह ख़ुशी ख़ुशी स्कूल पहुँच चुके थे।
1924 में नाई (नाई) समुदाय में जन्मे, कर्पूरी ठाकुर की एक सीमांत किसान के बेटे से एक सम्मानित राजनीतिक हस्ती तक की यात्रा पिछड़े वर्गों के लिए उनके समर्पण और सेवा का एक प्रमाण थी।
एक दिन की बात है मिन्नी अपने गार्डन में बैठी हुई थी। तभी उसकी मम्मी उसको बुलाती हैं और बोलती हैं कि आ जाओ थोड़ा सा शहद खा लो, मिन्नी फ़ौरन अन्दर भागती है।
एक बार राजा मान सिंह ने राज्य में अंधे लोगों को भीख देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अंधा व्यक्ति भीख लेने से छूट न जाए।
बारिश थम चुकी थी। चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। पानी से धुले पेड़ों पर एक नयी छटा दिख रही थी। मधुमक्खी एक खिले हुये फूल पर मडंरा रही थी। वह सारे उपवन में घूम-घूम कर अपने छत्ते पर ले जाने के लिये परागकण एकत्र कर रही थी।