Motivational Story: रजत का संकल्प
रजत का मन पढ़ने लिखने में कम खेलने में ज्यादा लगता था। उसके सहपाठी परीक्षा में जहां बहुत अच्छे नंबरों से पास होते थे, वहीं रजत किसी तरह पास करता था। उसकी पोजिशन सबसे अंत में आती थी।
रजत का मन पढ़ने लिखने में कम खेलने में ज्यादा लगता था। उसके सहपाठी परीक्षा में जहां बहुत अच्छे नंबरों से पास होते थे, वहीं रजत किसी तरह पास करता था। उसकी पोजिशन सबसे अंत में आती थी।
बहुत पुरानी बात है। गाजीपुर रियासत में अहमद नाम का एक व्यक्ति रहता था। अहमद बेहद सच्चा और ईमानदार था। इसलिए पूरे गाजीपुर में सभी उसकी इज्जत करते थे। एक बार अहमद को किसी काम से बाहर जाना पड़ा।
किसी जमाने में एक गरीब आदमी अपना खेत जोत रहा था। कि उसके हल की फल किसी कठोर चीज से टकरायी। उस व्यक्ति ने बैलों को रोक दिया और यह देखने के लिए झुका कि वह कया चीज है। चीज देख कर वह अचम्भे में पड़ गया।
मोनू की ज़िद्दी आदत से घर के सभी लोग परेशान थे। जिद करना तो उसकी रोज की दिनचर्या बन गई थी। कभी खिलौने को तो कभी खाने-पीने की वस्तुओं की। आज स्कूल से लौटकर घर में घुसते ही मोनू ने पूछा।
थके कदमों से सुरेश अपनी क्लास में दाखिल हुआ। डर से उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था। आज भी वह पिकनिक जाने के लिए बीस रुपए नहीं जुटा सका था। उसने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। क्लास में उसके कदम रखते ही एक ठहाका गूंजा।
सर्दियों के दिन थे, आशू अपने घर की छत पर धूप में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। उसके घर के ठीक बगल में रमा आंटी का घर था। रमा आंटी की बेटी मंजरी आशू के स्कूल में ही पढ़ती थी।
पानीपत की लड़ाई छिड़ी हुई थी। पानीपत के मैदान में दोनों ओर दूर-दूर तक सैनिक लोग तम्बुओं में पड़े हुए हर समय गोला बारूद और सैनिकों से भिड़ जाने को थे। ऐसी ही एक शाम को जब लड़ाई कुछ देर के लिए रुकी हुई थी।