Motivational Story: पिता की सीख
पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे।
पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे।
एक गांव में रामू किसान अपनी पत्नी शांति के साथ रहता था। रामू बहुत सीधा सादा और भला आदमी था। उसकी पत्नी शांति भी उसी तरह भली और नेक औरत थी। दोनों पति पत्नी घर आए महमानों की खूब खातिरदारी करते थे।
एक राजा के बारह बेटे थे। जब वे जवान हुए तो राजा ने उनसे कहा, 'जिस लड़की को तुम पसंद करोगे, उसी से तुम्हारी शादी कर दी जाएगी, लेकिन एक शर्त है। उस लड़की को एक दिन में सूत कात कर कपड़ा बुनना और कमीज सीना आता हो'।
एक जंगल था, उस जंगल में बहुत से जानवर रहते थे। शेर भी रहता था। वह बूढ़ा हो चला था। उसे शिकार करने में कठिनाई होती थी। बड़े दिनों से उसे कोई शिकार नहीं मिला था। इसलिए उसने अपने साथी ऊंट को ही अपना शिकार बना लिया।
एक बार कक्षा में किसी अध्यापक ने बारह वर्षीय प्रफुल्ल से यूं ही पूछा, ‘पढ़ लिखकर तुम क्या बनना चाहोगे?’ ‘डाक्टर झट से उसने जवाब दिया। ‘डाक्टर ही क्यों?’ क्योंकि हमारे देश में अधिकतर लोग गरीब हैं।
एक किसान के दो बेटे थे रमन और हरीश। रमन बड़ा था और हरीश छोटा था। किसान दिन रात मेहनत करता था। वह चाहता था कि किसी तरह उसके दोेनों लड़के पढ़ लिख जाएं। लेकिन रमन को पढ़ाई लिखाई से जितना लगाव था।
जंगल का राजा शेर बड़ा नेक दिल और न्यायप्रिय था। सारे जंगल के जानवर उसकी व्यवस्था से खुश थे। न्याय के मामले में किसी के साथ पक्षपात नहीं होता था। धोखेबाजी और मक्कारी से तो राजा को बहुत ही नफरत थी।