Jungle Story: बदलाव
किसी जंगल में एक पेड़ था। पेड़ का तना काफी चौड़ा था। पेड़ के तने में एक जगह खोखली थी, जिसमें पिंकू खरगोश अपने-परिवार के साथ रहता था। चूंकि पेड़ काफी पुराना था और उस पर पत्ते भी कम ही थे।
किसी जंगल में एक पेड़ था। पेड़ का तना काफी चौड़ा था। पेड़ के तने में एक जगह खोखली थी, जिसमें पिंकू खरगोश अपने-परिवार के साथ रहता था। चूंकि पेड़ काफी पुराना था और उस पर पत्ते भी कम ही थे।
बहुत समय पहले सूरतगढ़ नाम का एक छोटा सा राज्य हुआ करता था। वहां का राजा सनक सिंह अपने नाम के अनुरूप ही अत्यंत सनकी स्वभाव का था। उसकी सनक के कारण प्रजा कई बार परेशानी में पड़ जाती थी। वह तो राज्य का सौभाग्य था।
होली का उत्साह था और विजयनगर के राजदरबारियों की उमंग का ठिकाना नहीं था क्योंकि राजा कृष्णदेव राय होली के दिन मूर्खश्रेष्ठ का पुरस्कार दिया करते थे। हर बार यही होता था।
भोलू बंदर चीकू वन में रहता था। जब वह कुछ बड़ा हुआ तो उसने सोचा कि क्यों न कुछ काम-धाम किया जाये भोलू काम की तलाश में घर से निकल पड़ा। सुबह से शाम तक वह मारा-मारा फिरता रहा कहीं पर भी उसे काम नहीं मिला।
सरिता के पिता का देहान्त कब हुआ था, उसे नहीं पता। उसे तो अपने पिता की छवि तक याद नहीं। वह तो बस मां को जानती और पहचानती थी। मां ही उसे बड़ी कठिनाई से पढ़ा रही थी।
चमन भालू बहुत ही ईमानदार और मेहनती मोची था, सभी लोग उसी के पास अपने जूते चप्पलों की मरम्मत करवाते थे। चमन का बेटा था, सोनू। वह एक नंबर का आलसी था। वह ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नही था।
सर्दियों के दिन थे, आशू अपने घर की छत पर धूप में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। उसके घर के ठीक बगल में रमा आंटी का घर था। रमा आंटी की बेटी मंजरी आशू के स्कूल में ही पढ़ती थी।