Jungle Story: मीठे हो गए अंगूर
लोमी लोमड़ी भूख से व्याकुल थी और कुछ खाने की तलाश में जंगल में यहाँ वहाँ घूम रही थी। बहुत देर से उसे भूख बुरी तरह सता रही थी। लोमी ने चाहा कि कहीं से खाने की कोई चीज़ मिल जाए।
लोमी लोमड़ी भूख से व्याकुल थी और कुछ खाने की तलाश में जंगल में यहाँ वहाँ घूम रही थी। बहुत देर से उसे भूख बुरी तरह सता रही थी। लोमी ने चाहा कि कहीं से खाने की कोई चीज़ मिल जाए।
एक तालाब में कम्बुग्रीव नामक एक कछुआ रहता था। उसी तालाब में दो हंस तैरने के लिए उतरते थे। हंस बहुत हंसमुख और मिलनसार थे। धीरे धीरे हंसों और कछुए में गहरी दोस्ती हो गयी। दोनों हंस बहुत ज्ञानी थे।
एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आया और उनसे बोला “मैं अपने जीवन से बहुद दुखी हूँ, मैं अपने दैनिक जीवन में बहुत मेहनत करता हूँ, काफी लगन से भी काम करता हूँ लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाया”।
मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ, जो किसी ऐसी चीज़ को नहीं अपनाते जो उन्हें खुशी दे सकती है, केवल इसलिए क्योंकि वे समझते हैं कि उनके पास समय नहीं है। वह कार्य उनकी सूची में नहीं होता।
एक दिन मैं रेल में सफर कर रहा था जब किशोरों का एक समूह गाड़ी में सवार हो गया। जल्दी ही पूरा डिब्बा हंसी और खुशी की किलकारियों से भर गया और मैं भी इसका आंनद लेने लगा जब अचानक ही मौत जैसी चुप्पी पसर गई।
फटे-पुराने कपड़े पहने एक महिला पंसारी की दुकान में गई और बहुत विनम्रतापूर्वक ढंग से बताया कि उसका पति बीमार है और वह कोई काम-धंधा करने में असमर्थ है। उसके 7 बच्चे हैं, जिनका भरण-पोषण करने के लिए मुझे उधार समान की जरूरत है।
एक व्यक्ति ने अखबार में स्पोर्ट्स कार के सम्बन्ध में विज्ञापन पढ़ा। यह कार केवल 3 हज़ार मील ही चली थी। विज्ञापन में शेखी बघारी गई थीः ‘‘बिल्कुल नई जैसी, जैसे अभी-अभी तैयार होकर आई हो। कीमत 750 डालर।’’