बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी: जो चाहोगे सो पाओगे

एक साधु थे, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करते थे, “जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे”। बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।

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जो चाहोगे सो पाओगे

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बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी: जो चाहोगे सो पाओगे:- एक साधु थे, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करते थे, “जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे”। बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे। (Moral Stories | Stories)

एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी, “जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे” और आवाज सुनते ही...

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एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी, “जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे” और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया। उसने साधु से पूछा- “महाराज, आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैं चाहता हूँ?”

साधु उसकी बात को सुनकर बोले– “हाँ बेटा तु जो कुछ भी चाहता है मैं उसे जरुर दूंगा, बस तुम्हें मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हें आखिर चाहिये क्या?” (Moral Stories | Stories)

युवक बोला, “मेरी एक ही ख्वाहिश है मैं हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ”।

साधू बोले, “कोई बात नहीं मैं तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे”।

और ऐसा कहते हुए साधु ने अपने हाथ से आदमी की हथेली पर हीरा रखते हुए कहा,  “पुत्र, मैं तुम्हें दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो”। (Moral Stories | Stories)

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युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसका दूसरी हथेली पकड़ते हुए बोले, “पुत्र, इसे पकड़ो, यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे “धैर्य” कहते हैं, जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिलें तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना, याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है। युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि “आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा”। और ऐसा सोचकर उसने हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम शुरू कर दिया और अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बन गया।

अब वह समझ चुका था कि ‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। (Moral Stories | Stories)

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