हिंदी प्रेरक कहानी: पक्षियों से खिलवाड़

एक था राजा, जिसे देश-विदेश के किस्म-किस्म के रंग-बिरंगे पक्षी पालने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के खातिर वह खूब दौलत खर्च किया करता। प्रजा के कई लोग रात-दिन जंगलों मे जाते और जाल बिछाकर कई पक्षियों को कैद कर लेते।

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पक्षियों से खिलवाड़

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हिंदी प्रेरक कहानी: पक्षियों से खिलवाड़:- एक था राजा, जिसे देश-विदेश के किस्म-किस्म के रंग-बिरंगे पक्षी पालने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के खातिर वह खूब दौलत खर्च किया करता। प्रजा के कई लोग रात-दिन जंगलों मे जाते और तरह-तरह की तिकडम व जाल बिछाकर कई पक्षियों को कैद कर लेते, और राजा से मुंह मांगी कीमत ऐंठ लिया करते। (Motivational Stories | Stories)

राजा ने पक्षियों का एक विशाल बाड़ा बना रखा था, जिसमें कई किस्म के पक्षी कैद थे। राजा वर्ष भर पक्षियों को एकत्रित किया करता, फिर एक खास दिन उन्हें अपने हाथों से आजाद कर दिया करता।

ऐसे ही, एक बार वह पक्षियों को आजाद कर रहा था, तभी दूर खड़े एक महात्मा ने देखा-सैकड़ों शिकारी, बन्दूकों से उड़ते पक्षियों का शिकार कर रहे हैं। शिकार हुए पक्षी चित्कार से तड़पते हुए जमीन पर गिर रहे हैं। यह करूणा भरा दृश्य देखकर महात्मा ने सोचा "आखिर इन बेजुबान पक्षियों को इस तरह आजाद करने का क्या तुक है?" यही कुछ जानने के लिए वे पक्षियों के विशाल बाड़े में पहुंचे। वहां स्वयं राजा जोर-जोर से हंसते हुए पक्षियों को नील गगन में आजाद कर रहा था।

जब महात्मा ने पिंजरे में कैद पक्षियों को आजाद करने का कारण पूछा तो राजा ने बड़ी अदा से मंद-मंद मुस्कुराते हुए कहा- "मैं अपनी दयालुता प्रदर्शित करने के लिए...

जब महात्मा ने पिंजरे में कैद पक्षियों को आजाद करने का कारण पूछा तो राजा ने बड़ी अदा से मंद-मंद मुस्कुराते हुए कहा- "मैं अपनी दयालुता प्रदर्शित करने के लिए वर्ष में एक खास दिन यानी अपने जन्मदिन पर पक्षियों को आसमान में उड़ाता हूं"। (Motivational Stories | Stories)

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यह सुनकर महात्मा को बड़ा ताज्जुब हुआ, बोले- "जन्म दिन पर दयालुता प्रदर्शित करने का यह तुम्हारा कैसा धर्म है? शायद तुम नहीं जानते, बेजुबान पक्षियों के जीवन से खिलवाड़ करना कितना बड़ा पाप है? अरे ये पक्षी तो प्रकृति, पर्यावरण और मानव के सच्चे दोस्त हैं। इन पक्षियों को तुमने अपने शौक के खातिर पूरे वर्ष कैद में रखा, इससे प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा? शायद यह बात तुम गंभीरता से नहीं जानते। जब ये जंगल की वादियों में स्वतंत्र रूप से विचरण करते हुए अपने शरीर की गंदगी व मूत्र त्यागते हैं तो एक प्रकार की कीमती खाद का निर्माण होता है, जिससे पौधे जल्दी चाल पकड़ते हैं तथा फूलों फलों से लदने लगते हैं। कई मर्तबा ये पक्षी अपने पंजों व पैनी चोंच द्वारा वृक्षा रोपण का कार्य भी करते हैं। कई फलों व फूलों के बीज अपने पंजों व चोंच में दबाकर जंगल के उन सूने स्थानों पर गिरा देते हैं, जहां वृक्ष नहीं होते, जब वर्षा का मौसम आता है तो इन्ही बीजों की बदौलत नव पौधे अंकुरित होने लगते हैं तथा धीरे-धीरे यह बढ़कर हरियाली की बहार बन कर झूमने लगते हैं, जिससे प्रदूषित पर्यावरण को भी नव जीवन मिलता है। हां, इन वृक्षों की बदौलत ही वर्षा के मेघ खींचे चले आते हैं और, खूब पानी बरसाते हैं। ये पक्षी कृषकों के भी सच्चे दोस्त हैं, खड़ी फसलों पर हमला करने वाले कीट पतंगों को ये चट कर जाते हैं, जिससे फसल की भी रक्षा होती है। सच पूछा जाए तो तुमने अपने शौक के खातिर हजारों पक्षियों को वर्ष भर कैद में रखकर, प्रकृति के लाखों अंकुरित होने वाले नन्‍हें पौधों की हत्या भी की है"। 

यह सुनकर राजा की आंखों में आंसू भर आये। वह महात्मा के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगा। (Motivational Stories | Stories)

महात्मा ने राजा को उठाते हुए कहा- "यदि तुम, अब सचमुच पक्षियों की रक्षा करना चाहते हो तो अच्छा यह होगा कि अपनी राजधानी में पक्षी पकड़ने की मनाही कर दो। हां, तुम पकड़वाते तो इसलिए हो कि उन्हें मुक्ति प्राप्त हो सके, लेकिन तुम्हारे जन्मदिन के कारण उन्हें मन ही मन जो दर्द होता है, उसे तुम्हारी दयालुता कभी प्रसन्नता में नहीं बदल सकती। यह बात राजा के गले उतर गई। उसने तुरन्त सारे पक्षियों को आजाद कर दिया और अपने जन्मदिन पर पक्षियों की भेंट लेना बंद कर दिया। (Motivational Stories | Stories)

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