हिंदी प्रेरक कहानी: असली पूजा

धनिया एक गरीब बच्चा था। न उसके पास रहने को घर था और न पहनने को वस्त्र। दिन भर वह कालोनी के लोगों के छोटे-मोटे काम करता था और जो कुछ रूखा-सूखा मिलता था उसी से पेट भर लेता था।

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असली पूजा

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हिंदी प्रेरक कहानी: असली पूजा:- धनिया एक गरीब बच्चा था। न उसके पास रहने को घर था और न पहनने को वस्त्र। दिन भर वह कालोनी के लोगों के छोटे-मोटे काम करता था और जो कुछ रूखा-सूखा मिलता था उसी से पेट भर लेता था। रात होने पर वह कालोनी के पास बहने वाली नदी के किनारे पड़े चौड़े पाइप में सो जाता था वह पाइप ही उसका घर था। (Motivational Stories | Stories)

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एक दिन धनिया सुबह-सुबह नदी के किनारे घूम रहा था। तभी उसे वहां रेत में पड़ी लक्ष्मी जी की मूर्ति दिखाई दी। धनिया ने झुककर मूर्ति उठा ली।

"लक्ष्मी तो धन की देवी हैं। लक्ष्मी की मूर्ति का मिलना मेरे लिए शुभ होगा। अब मेरी सारी गरीबी दूर हो जायेगी"। धनिया ने मन ही मन सोचा और मूर्ति को झाड़ पोंछकर अपने पाइप में एक जगह रख लिया। दिन-रात वह उसकी पूजा करने लगा। यहां तक कि अब वह कालोनी में भी कम ही निकलता। अधिक समय वह अपने पाइप में बैठकर लक्ष्मी जी की पूजा करने लगा उसे लगा कि उससे खुश होकर लक्ष्मी उसे धन-दौलत से भर देगी।

अब धनिया रात में भी धनवान होने के सपने देखता रहता था। कभी वह देखता कि उसके पास रहने के लिए लम्बा-चौड़ा महल है। उसके आंगन में...

अब धनिया रात में भी धनवान होने के सपने देखता रहता था। कभी वह देखता कि उसके पास रहने के लिए लम्बा-चौड़ा महल है। उसके आंगन में हीरे-मोतियों की वर्षा हो रही है। कभी वह देखता कि वह मोटर गाड़ी में बैठकर सैर कर रहा है और कालोनी के धनी लोग उसका अभिवादन कर रहे हैं। (Motivational Stories | Stories)

"मेरे सपने जरूर पूरे होंगे," यह सोचकर वह मन ही मन बड़ा खुश होता और देवी लक्ष्मी की पूजा और भी लगन से करने लगता।

पूजा करते-करते उसे कई महीने बीत गये, लक्ष्मी ने अपना करिश्मा नहीं दिखाया। बल्कि अब वह पहले से भी गरीब हो गया था, क्योंकि पूजा के चक्कर में उसने लोगों के छोटे-मोटे काम करना भी कम कर दिया था। इसलिए उसे कालोनी के घरों में भी काम कम ही मिलता था।

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धीरे-धीरे वह सोचने लगा, "यदि इतना समय मैं मेहनत-मजदूरी में लगाता तो कितना धन पा लेता। बेकार ही मैंने पूजा-पाठ में अपना इतना समय गंवाया"। (Motivational Stories | Stories)

धनिया का भक्ति-पूजा पर से बिल्कुल विश्वास उठ गया, पर उसका अमीर बनने का सपना ज्यों का त्यों था। उसने निश्चय किया कि वह अब खूब मेहनत करेगा। साथ ही वह यह भी समझ गया था कि कालोनी के घरों के छोटे-मोटे काम करने से उसकी जिन्दगी नहीं बन सकती। जिन्दगी में कुछ करने के लिए पढ़ना भी जरूरी है।

"पर मैंने आज तक तो पढ़ाई की नहीं। अब पढ़ने का मतलब है अपने से छोटे बच्चों के साथ पढ़ना," उसने मन ही मन सोचा।

"जब जागो तभी सवेरा। बीते दिन तो वापस लाये नहीं जा सकते, पर आगे के दिनों में तो कुछ अच्छा किया जा सकता है" धनिया ने सोचा और एक सरकारी स्कूल में नाम लिखवा लिया।  मन में लगन हो तो क्या नहीं किया जा सकता, धनिया का मन पढ़ाई में खूब लगने लगा। थोड़े दिनों के परिश्रम से ही वह कक्षा का सबसे अच्छा विद्यार्थी बन गया। सभी  अध्यापक उसे बहुत स्नेह करते थे। उसके प्रयत्नों से उसकी फीस भी माफ हो गई। (Motivational Stories | Stories)

समय बीतते क्या देर लगती है। धनिया एक के बाद एक कक्षा पार करता जा रहा था। वह अपने से छोटी कक्षा के बच्चों की ट्यूशन भी करता था, जिससे उसका गुजारा अच्छी तरह चलने लगा।

एक समय ऐसा भी आया जब धनिया ने एम.एस.सी. करके एक कोचिंग सेंटर खोल लिया। सच में उसके सपने साकार हो गये। अब वह एक अच्छे घर में रहता था और उसके आंगन में सोने-चांदी की वर्षा हो रही थी। कालोनी के धनी लोग अपने बच्चों की कोचिंग के लिए उसके पास आते थे। कल का धनिया आज का धनेश चन्द्र वर्मा बन चुका था। मित्रों में वह डी.सी. के नाम से प्रसिद्ध था।

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आज भी धनिया यह नहीं भूला था कि उसने अपने बचपन का इतना समय लक्ष्मी की पूजा-अराधना में बिता दिया, पर लक्ष्मी प्रसन्‍न नहीं हुई और जब उसने पूजा-पाठ छोड़कर मेहनत की तो लक्ष्मी स्वयं ही आ गई।

धनिया समझ गया था कि मेहनत से धन कमाना ही लक्ष्मी की सच्ची व असली पूजा है। लक्ष्मी उन लोगों के पास कभी नहीं आती जो हाथ धरे बैठे रहते हैं। लक्ष्मी मेहनती इंसान को ही पसन्द करती है जो मनुष्य पुरूषार्थ पर विश्वास रखते हैं, उनके सब सपने पूरे हो जाते हैं। (Motivational Stories | Stories)

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