Moral Story: समय का मूल्य कॉलेज में आज बड़ी चहल पहल थी चारों तरफ हंगामा था, सब एक दूसरे से बढ़-चढ़ कर सज संवर कर आये थे। आते भी क्यों ना? आज के दिन का तो वह बहुत दिनों से इन्तजार कर रहे थे। क्योंकि आज उनका परीक्षा फल निकलने वाला था। By Lotpot 20 Apr 2024 in Stories Moral Stories New Update समय का मूल्य Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story समय का मूल्य:- कॉलेज में आज बड़ी चहल पहल थी चारों तरफ हंगामा था, सब एक दूसरे से बढ़-चढ़ कर सज संवर कर आये थे। आते भी क्यों ना? आज के दिन का तो वह बहुत दिनों से इन्तजार कर रहे थे। क्योंकि आज उनका परीक्षा फल निकलने वाला था, उनके भाग्य का फैसला होना था। उस समूह में राम, श्याम और मोहन भी थे। बड़ी बेचैनी से इन्तजार था उन्हें अपनी परीक्षाओं के परिणाम का। प्रिंसिपल के कमरे के आगे बेचैनी के साथ टहल रहे थे। (Moral Stories | Stories) एकाएक प्रिंसिपल के कमरे का दरवाज़ा खुला, परीक्षा फल की लिस्ट नोटिस बोर्ड पर लटकने की देर थी कि सभी विद्यार्थी उस पर टूट पड़े। हर एक यही चाहता था कि उसे सबसे पहले परीक्षा फल पता लगे, राम, श्याम और मोहन भी स्वाभाविक रूप से उतावले थे। परीक्षा फल देख कर तीनों की खुशी का ठिकाना न रहा, तीनों की मेहनत सफल हुई। अच्छे नम्बर लेकर पास हुए थे तीनों। तीनों ने एक दूसरे को बधाई दीं और अपने भविष्य के बारे में सोचने लगे। तीनों का एक ही विचार था कि अब उन्हें नौकरी करनी चाहिए। तीनों इस बात पर भी सहमत थे कि कोई अच्छा और नेक काम करेंगे, और इस फैसले पर पहुंच कर अपनी-अपनी मंजिल खोजने के लिए तीनों ने एक दूसरे से विदा ली। दुख था तीनों मित्रों को एक दूसरे से बिछुड़ने का लेकिन उज्जवल भविष्य की आस में कर्तव्य उन्हें पुकार रहा था। राम और श्याम ने समाचार पत्रों में नौकरी के विज्ञापन, देखना शुरू कर दिये तो मोहन स्वयं चक्कर लगा कर नौकरी तलाश करने लगा। इसी संधर्ष में दो महीने गुजर गए पर नौकरी किसी को भी न मिली। कुछ निराश सा, कुछ उदास सा एक दिन मोहन राम के घर गया। सौभाग्यवश वहां श्याम भी मिल गया। बहुत दिनों बाद मिले थे तीनों मित्र, उदासियों में भी खुशी का मिश्रण था। शब्दों में मोहन ने उनसे पूछा- "तुम दोनों की नौकरी का क्या हुआ?" (Moral Stories | Stories) "तुम्हारे आने से पहले हम यही बात कर रहे थे" श्याम ने उत्तर दिया। समाचार पत्र में एक नौकरी का विज्ञापन देखा था, अभी-अभी वहीं से होकर आ रहे हैं"। "तो क्या हुआ? मिल गई नौकरी" मोहन ने पूछा। "नौकरी तो मिल जाती, पर श्याम को काम पसन्द नहीं आया"। मतलब? मोहन की आंखे आश्चर्य से फटी रह गईं। "मतलब यह कि एक पैट्रोल पम्प पर जगह खाली है, काम है आती जाती गाड़ियों में पैट्रोल डालना। अब तुम ही बताओ दोस्त! क्या हमने बी.ए. इस लिए किया है कि लोगों की कारों में पैट्रोल भरते फिरें? ऐसा नीच काम करना हमें शोभा नहीं देता"। (Moral Stories | Stories) काम कोई भी नीच नहीं होता श्याम, ईमानदारी की मेहनत से दो वक्त की रोटी इज्जत से मिल जाए तो वह काम सबसे... "काम कोई भी नीच नहीं होता श्याम, ईमानदारी की मेहनत से दो वक्त की रोटी इज्जत से मिल जाए तो वह काम सबसे बड़ा है चाहे वह मामूली काम ही क्यों न हो"। इसके विपरीत बेईमानी से कमाया हुआ सोना भी राख होता है। वह लोग हम से अच्छे हैं जो ईमानदारी से मेहनत करते हैं और दो वक्त रूखी सूखी खा कर भगवान का शुकिया अदा करते हैं"। "तुम कहना क्या चाहते हो आखिर?" राम और श्याम दोनों ने प्रश्न सूचक दृष्टि से मोहन की ओर देखा। (Moral Stories | Stories) "यही कि तुमने पैट्रोल पम्प की नौकरी स्वीकार न करके अच्छा नहीं किया"। "इसके लिए तुम्हें चिन्ता करने की जरूरत नहीं"। दोनों ने एक साथ उत्तर दिया, हमें जो काम अच्छा लगेगा वही करेंगे। तुम्हें अगर यह काम अच्छा लगता है तो तुम कर लो"। "अच्छा! अच्छा! भाषण देने की जरूरत नही। मुझे बताओ कि वह पैट्रोल पम्प कहां है, मैं नौकरी करूँगा"। उनसे पैट्रोल पम्प का पता पूछकर मोहन सीधा वहां पहुँचा। अपना परिचय दिया, पढ़ा लिखा नौजवान था इसलिए नौकरी मिलने में कठिनाई न हुई। चार हज़ार रूपये महीने की नौकरी पाकर मोहन बड़ा ही खुश हुआ। जैसे कोई बहुमूल्य खजाना उसे मिल गया हो, पैट्रोल पम्प के मालिक सेठ ने कहा- "तुम ऐसा करो, कल ही काम पर आ जाओ। मेहनत और लगन से काम करोगे तो बहुत ही तरक्की मिल जाएगी"। मोहन ने सेठ का शुक्रिया अदा किया और सुबह से काम पर आने का वायदा करके घर की ओर चल दिया। (Moral Stories | Stories) इस प्रकार पैट्रोल पम्प पर काम करते उसे कई महीने बीत गए। मेहनती और नेक नौजवान था, इसलिए जल्द ही सेठ की निगाहों में जंच गया। एक दिन सेठ जी कुछ मौन से कुछ गम्भीर से बैठे थे तो मोहन ने पूछा- "आप कुछ चिन्तित से दिखाई दे रहे हैं सेठ जी, आप मुझसे कुछ छुपाते भी नही, क्या मैं पूछ सकता हूँ कि कारण क्या है"। "हमारा अकाउंटेंट अब बूढ़ा हो गया है, वह चाहता है कि उसे छुट्टी दे दी जाए। तुम जानते हो आदमी ईमानदार है, और कैश का सारा काम भी वही सम्भालता है, अब ऐसा भरोसे वाला आदमी कहां से लाऊं"। मोहन अभी कुछ सोच ही रहा था कि एकाएक सेठजी को जैसे कोई बात याद आई, चौंक कर बोले- "क्या ऐसा नहीं हो सकता कि तुम यह जॉब संभाल लो मोहन! मैं जानता हूँ कि तुम पढ़े लिखे हो, तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी के बारे में भी कोई शक नही, मेरा ख्याल है तुम मुझे निराश नहीं करोगे"। (Moral Stories | Stories) "मैं किस योग्य हूँ सेठ जी!" मोहन आदर पूर्वक बोला- "खुशी है कि आपने मुझे किसी काबिल समझा। वैसे मैं सारा काम संभाल सकता हूँ, आप केवल कैश का हिसाब अपने पास रख लें"। मेहनत और लगन के साथ मोहन काम करता रहा और व्यापार उन्नति करता रहा। सेठ जी ने अब कैश आदि का काम भी मोहन को सौंप दिया था। वह अब पैट्रोल पम्प पर भी कभी कभार आते! सारा काम मोहन ने संभाल लिया था। एक दिन बातों-बातों में सेठ जी ने मोहन से ज़िक्र कर दिया- "मोहन! क्यों न अब अपने कारोबार को बढ़ाया जाए! तुम काम समझ ही गये हो, इस पैट्रोल पम्प के पीछे ही और जमीन पड़ी है, हम उसे खरीद कर अपना धन्धा बढ़ा सकते हैं"। बात ठीक थी! जमीन खरीद ली गई। सेठ जी ने अपने सारे काम का इंचार्ज मोहन को बना दिया। वह तो बस नाम मात्र को दी देख रेख करते थे। नये काम के लिए नये आदमियों की जरूरत पड़ी तो समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया। (Moral Stories | Stories) उस दिन नौकरी तलाश करने के लिए सैकड़ों नौजवान आए थे। मोहन के आश्चर्य की सीमा न रही। राम और श्याम भी नौकरी मांगने वालों की पंक्ति में खड़े थे। फर्म के 'बॉस' के रूप में मोहन को देख कर उन दोनों को भी आश्चर्य हुआ। मोहन ने तुरन्त दोनों को अन्दर बुलाया और पूछा- "नौकरी करोगे? पर देख लो काम बहुत छोटा है"। "हमें अधिक लज्जित मत करो मोहन मित्र। हम कोई भी काम करने को तैयार हैं बस इज्जत से रोटी मिलनी चाहिए"। राम और श्याम बोले। "मैंने भी एक दिन तुमसे यही कहा था, अगर तुम मेरी बात मान लेते तो आज जहाँ मैं हूँ वहां तुम होते। गया वक्त फिर लौट कर नहीं आता, तुम्हें पता नहीं समय का कितना मूल्य है। अगर तुम उस समय सूझ बूझ से काम लेते तो अब दर दर न भटकना पड़ता"। राम और श्याम पश्चाताप से सर झुकाये, गर्दन हिला कर मोहन की सभी बातों की पुष्टि कर रहे थे। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | short moral story | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | Kids Stories | Moral Stories | Moral Stories for Kids | hindi stories for kids | hindi stories | Kids Moral Story | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | हिंदी कहानी | छोटी नैतिक कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | छोटी नैतिक कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Moral Story: तीन मूर्ख Moral Story: भगवान का जन्म Moral Story: किसी का दोष न देखो Moral Story: भेड़िया आया भेड़िया आया #Hindi Kahani #बाल कहानी #लोटपोट #हिंदी कहानी #Lotpot #Bal kahani #Hindi kahaniyan #Bal Kahaniyan #Kids Moral Stories #Moral Stories #Hindi Bal Kahani #Kids Moral Story #Moral Stories for Kids #Kids Stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #hindi stories for kids #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #short moral stories #Hindi Bal Kahaniyan #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #kids short stories #छोटी नैतिक कहानियाँ #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #short moral story #छोटी नैतिक कहानी You May Also like Read the Next Article