Moral Story: जादुई ब्रश
एक लड़का था जिसका नाम सुरेश था, वह बहुत गरीब था। लेकिन गरीब होने के बावजूद वह बहुत उम्दा कलाकार था। उसने कई पेंटिंग्स बनाई जिसके लिए लोगों ने उसे बहुत सराहा। लेकिन एक समस्या थी।
कहानियां, मात्र सुने सुनाए किस्से ही नहीं है बल्कि एक बच्चे के सर्वांगीण विकास को उसकी कल्पनाशक्ति के सहारे पंख प्रदान करने हेतु विशेष महत्व रखते हैं। Lotpot.com पे हमारे हुनरमंद लेखकों द्वारा लिखी गई कुछ ऐसी ही कहानियां आपके बच्चों में नए मनोरंजन का संचार कर उनकी सोच को विस्तृत एवं पूर्ण बनाने का कार्य करेंगी। तो जल्दी से जल्दी सब्सक्राइब कीजिए हमारी वेबसाइट lotpot.com को और अपने बच्चों के विकास के पंखों को और मज़बूत बनाइए।
एक लड़का था जिसका नाम सुरेश था, वह बहुत गरीब था। लेकिन गरीब होने के बावजूद वह बहुत उम्दा कलाकार था। उसने कई पेंटिंग्स बनाई जिसके लिए लोगों ने उसे बहुत सराहा। लेकिन एक समस्या थी।
एक दिन एक राजा शहर की तरफ जा रहा था। रास्ते में वह एक किसान से मिला और अपनी प्रजा के लिए चिंतित रहने वाले राजा ने उस किसान से पूछा कि वह कितना कमा लेता है? उस किसान ने उत्तर दिया, ‘महाराज, मैं एक दिन में चार सिक्के कमा लेता हूं।’
एक दिन आसमान में कुछ पक्षी भी उड़ रहे थे। उन्होंने अपने बीच लाल पतंग को उड़ते देखा तो दोस्ती करने उसके पास आ गए। ‘हटो-हटो, दूर हटो। मेरे नजदीक नहीं आना। वरना मैं तुम्हें गिरा दूंगी।’
तीन भाई थे जिनके नाम नीले, पीले और लाली थे, वह तीनों तितली थे। वह तीनों सबसे सुंदर तितलियां थे और एक दूसरे के सबसे अच्छे मित्र भी थे। उनकी माँ रंगबिरंगी ने उन्हें सारी बातें सिखाई थी।
चंपक वन में चीकू बन्दर, मीकू खरगोश और नीटू लोमड़ की बहुच चर्चा थी। चंपक वन के निवासी जानवर उनकी दोस्ती की मिसाल दिया करते थे। वन में कोई विद्यालय नहीं था। अतः वे तीनों पड़ोस के वन में पढ़ने जाया करते थे।
मेरे पिता की सिर्फ एक आंख थी, मुझे उनसे नफरत थी, उनके साथ होते हुए मुझे शर्म आती थी। वह परिवार को चलाने के लिए छात्रों और शिक्षकों के लिए खाना बनाते थे। एक दिन जब मैं प्राथमिक पाठशाला में था, मेरे पिता मुझे हैलो कहने आए थे।
गजराज हाथीदादा को जब भी अपने दैनिक निजी कार्यों से फुरसत होती तो तुरन्त ही नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र जपना शुरू कर देते थे। कभी किसी ने उन्हें व्यर्थ में समय गंवाते नहीं देखा था। उनका मन सदा ईश्वर में एकाग्र रहता था।