Motivational Story: हाथों का मूल्य
यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है स्कूल खत्म करके रमेश घर वापिस जा रहा था। हैडमास्टर होने के कारण वह सबसे आखिर में स्कूल से निकलता था। अचानक उसके स्कूटर का हैंडल हिलने लगा।
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यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है स्कूल खत्म करके रमेश घर वापिस जा रहा था। हैडमास्टर होने के कारण वह सबसे आखिर में स्कूल से निकलता था। अचानक उसके स्कूटर का हैंडल हिलने लगा।
एक बार देव शर्मा नाम का एक साधु हुआ करता था, जो शहर से दूर एक मंदिर में रहता था। वह लोगों के बीच काफी चर्चित और सम्मानित भी था। लोग उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे लेकर उनसे मिलने और उनका आर्शीवाद लेने आते थे।
दिवाली आने वाली थी विजयनगर राज्य में दीवाली को मनाने की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही थी। हर तरफ मिठाइयों की दुकानें सज गई थीं। ऐसे में एक समस्या आन खड़ी हुई।
करोड़ीमल लखनऊ के माने हुए सेठ थे। उदार व दानी होने के कारण सभी उनकी प्रशंसा करते थे। सेठ जी के यहाँ रामू नाम का एक नौकर और एक मुनीम काम करते थे।
स्वामी विवेकानन्द उन दिनों बालक ही थे। सत्य की खोज में वे घर से निकलकर नगर-नगर घूम रहे थे घूमते-घूमते वे काशी जा पहुँचे वहाँ मन्दिरों में घूमते हुए वे एक दिन नगर से बहुत दूर निकल गए।
राहुल एक बेहद नेकदिल न्यूज़ पेपर डिलीवरी बॉय था। हर सुबह ठीक सात बजे, वह घर घर जाकर सबके मेल बॉक्स में समाचार पत्र डालता और फिर अपने घर लौटकर कॉलेज जाने की तैयारी करता था।
एक जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था उस पेड़ पर एक चिड़िया अपने बच्चों के साथ रहती थी उसी पर एक बंदर रहता था बंदर कुछ नहीं करता था। बस सारा दिन खेलना कूदना जो जहाँ मिला वहीं खा लेना और मस्ती करना।