बाल कविता - हुआ सवेरा

सुबह का समय बच्चों के लिए नई ऊर्जा (new energy) और ताज़गी (freshness) लेकर आता है। जैसे ही सूरज उगता है और चिड़ियाँ चहचहाती हैं, वैसे ही बच्चे भी मुस्कान के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। यह प्यारी कविता “हुआ सवेरा” हमें अच्छे आदतों

By Lotpot
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सुबह का समय बच्चों के लिए नई ऊर्जा (new energy) और ताज़गी (freshness) लेकर आता है। जैसे ही सूरज उगता है और चिड़ियाँ चहचहाती हैं, वैसे ही बच्चे भी मुस्कान के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। यह प्यारी कविता “हुआ सवेरा” हमें अच्छे आदतों (good habits) की सीख देती है – जैसे सुबह उठना, मंजन करना (brushing teeth), कुल्ला करना, नहाना और फिर साफ-सुथरे होकर पढ़ाई के लिए तैयार होना।

इस कविता में बच्चों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी (daily routine) को मज़ेदार तरीके से बताया गया है ताकि वे सीखते हुए आनंद भी लें। यह कविता न केवल सुबह की ताज़गी का अनुभव कराती है, बल्कि बच्चों को स्वच्छता (cleanliness) और अनुशासन (discipline) का महत्व भी सिखाती है।

हुआ सवेरा

हुआ सवेरा, चिड़ियाँ बोलीं,
बच्चों ने तब आँखें खोलीं।

अच्छे बच्चे मंजन करते,
मंजन करके कुल्ला करते।

कुल्ला करके मुँह को धोते,
मुँह धो करके रोज नहाते।

रोज नहाकर खाना खाते,
खाना खाकर पढ़ने जाते।

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