बाल कविता - आ-रे बादल !

एक खूबसूरत कविता है जो बादलों को बुलाने और उनसे वर्षा की आशा का वर्णन करती है। यह कविता प्रकृति के साथ मानव के अद्वितीय संबंध को दर्शाती है और बरसात के मौसम की रोमांचकारी और ताजगी भरी भावनाओं को साझा करती है।

By Lotpot
New Update
Child Poetry Aa ray cloud
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

"आ-रे बादल!" एक खूबसूरत कविता है जो बादलों को बुलाने और उनसे वर्षा की आशा का वर्णन करती है। यह कविता प्रकृति के साथ मानव के अद्वितीय संबंध को दर्शाती है और बरसात के मौसम की रोमांचकारी और ताजगी भरी भावनाओं को साझा करती है। कवि ने बादलों को चारों दिशाओं—पूरब, पश्चिम, उत्तर, और दक्षिण से आने के लिए कहा है, जो संकेत देता है कि सभी दिशाओं से जीवन देने वाली वर्षा का स्वागत किया जाता है।

"ठण्डा-ठण्डा जल बरसा" का बार-बार उल्लेख करना उस राहत की भावना को प्रतिध्वनित करता है जो गर्मी के दिनों के बाद वर्षा लेकर आती है। यह शीतल जल की बौछारें न केवल भौतिक रूप से ताजगी प्रदान करती हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तरोताजगी भी देती हैं। कविता में बादलों के "उमड़-घुमड़कर छा जा" शब्दों का प्रयोग करके, कवि ने आसमान में घने बादलों के जमावड़े की एक जीवंत छवि पेश की है, जो वर्षा की शुरुआत से पहले की स्थिति को बताती है।

इस कविता में वर्षा के प्रत्येक बूंद के साथ धरती के सरसाने की घटना को भी बखूबी दर्शाया गया है, जिससे पानी की महत्वपूर्ण भूमिका और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव सामने आता है। "रिमझिम रिमझिम जल बरसा" के माध्यम से कविता में संगीतात्मकता और लयात्मकता को भी शामिल किया गया है, जो सुनने में बेहद सुखदायक और मनमोहक होता है। इस प्रकार, यह कविता न केवल मौसम की बदलाव की प्रतीक्षा करती है, बल्कि इसे एक उत्सव के रूप में मनाती है, जो हमें प्रकृति के साथ गहराई से जोड़ती है।

आ-रे बादल, आ-रे आ

ठण्डा - ठण्डा जल बरसा।

बादल तू पूरब से आ।।

 बादल तू पश्चिम से आ।

बादल तू उत्तर से आ।।

बादल तू दक्षिण से आ।

आ-रे बादल, आ-रे आ।।

ठण्डा - ठण्डा जल बरसा।

उमड़-घुमड़कर तू छा जा।। 

ऊपर से धरती पर आ ।

रिमझिम रिमझिम जल बरसा।।

धरती को जल्दी सरसा।

आ-रे बादल, आ-रे आ।।

ठण्डा - ठण्डा जल बरसा ।

और पढ़ें : 

आम की टोकरी - हिंदी कहानी

सर्दी पर बाल कविता - "जाड़ा"

प्रेम-प्रीत हो सबकी भाषा

बाल कविता : जनवरी की सर्दी