Moral Story: उधार की रकम
नेहरूजी एक राजकुमार से कम नहीं थे, उनके पास दौलत की भी कोई कमी नहीं थी। उनके दर पे जो भी याचक आता कुछ न कुछ लेकर ही जाया करता। वैसे वे प्रतिदिन दान भी खूब दिया करते।
नेहरूजी एक राजकुमार से कम नहीं थे, उनके पास दौलत की भी कोई कमी नहीं थी। उनके दर पे जो भी याचक आता कुछ न कुछ लेकर ही जाया करता। वैसे वे प्रतिदिन दान भी खूब दिया करते।
राजेश एक दिन स्कूल से लौटा तो उसकी मां बोली 'बेटा, तूने कुछ सुना? अपने गांव में हरिनाथ के खेत में भगवानजी पैदा हुए हैं। उनके मुंह से कभी-कभी आवाजें भी निकलती हैं। बेटा, मुझे भी तुम उनके दर्शन करा लाओ न।
मोनू की ज़िद्दी आदत से घर के सभी लोग परेशान थे। जिद करना तो उसकी रोज की दिनचर्या बन गई थी। कभी खिलौने को तो कभी खाने-पीने की वस्तुओं की। आज स्कूल से लौटकर घर में घुसते ही मोनू ने पूछा।
एक गधा रोज सुबह-सुबह भगवान से कामना करते हुए कहा करता था "हे भगवान! मुझे इस धोबी से बचाओ। इसने मुझपर बोझा लाद-लादकर, मेरा कचूमर निकाल दिया है।" इसी प्रकार, रोज वह गधा भगवान का ध्यान किया करता था।
किसी गांव में जमुना प्रसाद और रूकमणी देवी नामक एक वृद्ध दम्पत्ति रहते थे। उनका एकलौता पुत्र बिरजू शहर में नौकरी करता था। बिरजू बार-बार उन दोनों को गांव की जमीन बेच कर शहर आ जाने के लिए कहता रहता।
काफी पुरानी बात है, अरब में एक अरबपति सेठ रहा करता था। नाम था शेख इन्हास इबूने मूसा। सेठ इधर उधर भ्रमण करने का शौकीन था। एक बार उसने रेगिस्तान में यों ही इधर उधर घूमने फिरने की सोची।
थके कदमों से सुरेश अपनी क्लास में दाखिल हुआ। डर से उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था। आज भी वह पिकनिक जाने के लिए बीस रुपए नहीं जुटा सका था। उसने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। क्लास में उसके कदम रखते ही एक ठहाका गूंजा।