Fun Story: चार दिन का जमींदार
सरयू अकबर पुर में रहत था। वह बहुत गरीब था, बस लकड़ी बेचकर ही अपना गुजारा करता था। एक दिन जब वह जंगल में पहुँचा तो वहाँ भयानक आग लगी हुई थी। अभी वह अपने इस एक मात्र धंधे को चौपट होता देख ही रहा था।
सरयू अकबर पुर में रहत था। वह बहुत गरीब था, बस लकड़ी बेचकर ही अपना गुजारा करता था। एक दिन जब वह जंगल में पहुँचा तो वहाँ भयानक आग लगी हुई थी। अभी वह अपने इस एक मात्र धंधे को चौपट होता देख ही रहा था।
आधी छुट्टी की घंटी बजी तो बच्चे अपना अपना बस्ता उठा कर पार्क की ओर भागे। कुछ स्कूल कैन्टीन में चले गए। इन बच्चोें में एक बच्चा ऐसा भी था, जो सबसे अलग जा रहा था। जब वह खाना नहीं लाता था।
वन में सभी जानवर व पक्षी बरसात के आगमन की तैयारी करने में लगे थे, सिर्फ चूहा ही निश्चिंत हो अपने बिल में बैठा था, तभी खरगोश वहां आया क्यों चूहे भाई! तुम्हे बरसात की तैयारी नहीं करनी? देखो सभी लोग तैयारी में व्यस्त हैं।
सुन्दर वन में चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। मौसम कुछ ऐसा था कि कब आंधी आ जाये, इसका कोई ठिकाना नहीं था। मौसम के बदलते रूख से वन के पशु-पक्षी बेचैनी का अनुभव कर रहे थे उसी वन के निवासी एक मादा तोते ने दो अंडे दिये।
बहुत पुरानी बात है। एक था बादशाह बड़ा अकडू अपने आगे किसी को कुछ न समझने वाला। दूसरों को नीचा दिखाने में उसको बड़ा मजा आता था। अक्सर उसको कोई न कोई झक सवार हो जाया करती थी।