रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज
रतन टाटा जी से एक बार एक रेडियो प्रेजेंटर ने पूछा, "सर, जीवन में आपको सबसे ज्यादा खुशी कब मिली?" रतन जी ने जवाब दिया, "मैंने अपने Web Stories
रतन टाटा जी से एक बार एक रेडियो प्रेजेंटर ने पूछा, "सर, जीवन में आपको सबसे ज्यादा खुशी कब मिली?" रतन जी ने जवाब दिया, "मैंने अपने Web Stories
रतन टाटा जी से एक बार एक रेडियो प्रेजेंटर ने पूछा, "सर, जीवन में आपको सबसे ज्यादा खुशी कब मिली?" रतन जी ने जवाब दिया, "मैंने अपने जीवन में चार चरणों को पार किया और अंत में सच्ची खुशी का अर्थ समझा।"
असली ज्ञान की खोज- एक संत थे, जो सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए दिन-रात साधना और तपस्या में लीन रहते थे। उनका एक ही लक्ष्य था - सभी विद्याओं का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना। उन्होंने माटी के दीपक की मंद रोशनी में रात-रात भर अध्ययन किया।
बिहार के एक युवा, गर्वित ज़मींदार थे जिनकी उम्र उन्नीस साल हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने अभी तक पढ़ाई-लिखाई का महत्त्व नहीं समझा था। उन्हें लगता था कि धन-संपत्ति के बल पर जीवन आसान हो जाएगा और शिक्षा की उन्हें कोई ज़रूरत नहीं है।
चिड़िया का बच्चा पूरा दिन अपने घोंसले में आराम से रहता था और चिड़िया बेफिक्र होकर भोजन की तलाश करने निकल जाती थी। चिड़िया ने देख-भाल कर अपना घोंसला खेत की सबसे मजबूत डाली पर बनाया था
यह कहानी महर्षि के अद्भुत ज्ञान और उनके शिष्यों नवल और समर के जीवन की है। महर्षि ने अपने शिष्यों को हमेशा सच्चाई की महत्वता बताई। वर्षों बाद, जब महर्षि फूलपुर गाँव से गुज़रे, तो उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाया।
"आँख की बाती" एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें सिखाती है कि हमारी सोच और समझ हमारे व्यवहार को कैसे प्रभावित करती है। यह कहानी एक छोटी सी बाती और एक अंधे व्यक्ति के बीच के संवाद के माध्यम से यह संदेश देती है