हिंदी जंगल कहानी: जंगल की आग
सुंदरवन में पलटू नाम का एक गधा रहता था। वह हर समय उटपटांग हरकत करता रहता था और बिना मतलब की बातें सोचा करता था। कभी-कभी उसकी सोच के चक्कर में जंगल के जानवर भी फंस जाते थे।
सुंदरवन में पलटू नाम का एक गधा रहता था। वह हर समय उटपटांग हरकत करता रहता था और बिना मतलब की बातें सोचा करता था। कभी-कभी उसकी सोच के चक्कर में जंगल के जानवर भी फंस जाते थे।
निलेश बहुत ही शरारती लड़का था। जानवरों को मारने-पीटने और परेशान करने में उसे बहुत मजा आता था। निलेश हमेशा अपने पास एक गुलेल रखता था। इस गुलेल का प्रयोग वह जानवरों को मारने के लिए करता था।
एक बार एक सज्जन पुरूष दिल्ली से अम्बाला जा रहे थे। दिसम्बर का महीना था और जनाब थे भी मोटर साईकिल पर सवार। अगर एक मुसीबत हो तो भुगत ली जाये लेकिन यहाँ मुसीबतें थी।
दक्षिण भारत के राजा थे, उनका नाम था चेर। कम्बन उनके राजकवि थे। कम्बन ने ही तमिल में रामायण लिखी थी। राजा चेर के दरबार में बहुत से कवि थे। लेकिन राजा कम्बन को सबसे ज्यादा मानते थे।
किसी गाँव में एक फूलकुमारी नाम की महिला रहती थी। दूसरों के घर की सफाई तथा बर्तन मांजकर थोड़े बहुत पैसे उसे मिलते थे। उन्हीं पैसों से गुजारा करती थी। उस फूलकुमारी का इकलौता बेटा था रामू।
चितवन जंगल में एक गीदड़ राह करता था। उसकी यह प्रतिदिन की आदत थी कि वह खूब तड़के जाग जाता और हवाखोरी के लिए निकल पड़ता। सुबह की ताजी हवा उसके शरीर में स्फूर्ति भरती और वह पूरे दिन तरोताज़ा रहता।
किसी जमाने में एक राजा था, उनका नाम धर्मसेन था। धर्मसेन का जैसा नाम था, वैसा ही उनका काम भी था। वह धार्मिक होने के साथ-साथ न्यायप्रिय भी थे। उनके दरबार में लोग दूर दूर से न्याय के लिए आते थे।