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शरारत का फल
हिंदी नैतिक कहानी: शरारत का फल:- निलेश बहुत ही शरारती लड़का था। जानवरों को मारने-पीटने और परेशान करने में उसे बहुत मजा आता था। निलेश हमेशा अपने पास एक गुलेल रखता था। इस गुलेल का प्रयोग वह जानवरों को मारने के लिए करता था। पिछली दीपावली पर निलेश ने सड़क पर जाते हुए एक कुत्ते के पिल्ले की पूंछ में पटाखे बांध दिये थे। जैसे ही पटाखे फटने लगे बेचारा पिल्ला डर के मारे कुं-कुं करता हुआ ईधर-उधर भागने लगा। निलेश पिल्ले की हालत देखकर खुशी से ताली बजाने लगा जैसे उसने कोई बहुत बहादुरी का काम किया हो। बाद में उसकी इस हरकत के लिए पापा-मम्मी ने डांटा भी, पर निलेश पर डांट का कोई असर नहीं पड़ा। उसकी आदत ज्यों की त्यों थी। (Moral Stories | Stories)
इस बार छुट्टियों में निलेश अपने गांव गया। गांव में उसके दादा-दादी रहते थे। निलेश को देखकर दादी खुश होकर बोली, "बेटा अच्छा किया जो यहां आ गए। यहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा और तुम्हारी सेहत भी बन जाएगी"।
निलेश को गांव का वातावरण बहुत पसंद आया। वहां चारों ओर हरियाली और शान्ति थी। यहां उसे न तो स्कूल जाने की...
निलेश को गांव का वातावरण बहुत पसंद आया। वहां चारों ओर हरियाली और शान्ति थी। यहां उसे न तो स्कूल जाने की चिन्ता थी और न ही पढाई या होमवर्क करने की परेशानी। वह रोज दादाजी के साथ खेतों में जाया करता था।
एक दिन दादाजी ने निलेश से कहा, बेटा निलेश, बगीचे के आम पक गए हैं, जाकर कुछ आम तोड़कर ले आओ"। (Moral Stories | Stories)
"मैं अभी गया और आया दादाजी"। निलेश ने कहा और वह बगीचे की तरफ दौड़ पड़ा। बगीचे में पहुंच कर वह एक पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ने लगा। अचानक उसकी नजर सामने के पेड़ पर बैठे एक बंदर पर पड़ी। बंदर देखकर, निलेश को एक शरारत सूझी। वह धीरे-धीरे पेड़ से उतरा। फिर उसने अपनी जेब से गुलेल निकालकर उस पर पत्थर चढाकर उस बंदर पर निशाना लगाया। पत्थर लगते ही वह बंदर बौखला गया और जोर से छलांग लगा कर, निलेश पर टूट पड़ा। उसने अपने दोनों पंजों से निलेश को कई जगह नोच दिया।
"बचाओ-बचाओ!" निलेश जोर से चिल्लाने लगा। शोर सुनकर दादा-दादी समेत आसपास के कई लोग वहां आ गए। लोगों को देखकर बंदर भाग खड़ा हुआ।
इधर, निलेश दर्द से कराह रहा था। उसके शरीर के कई जगहों से खून बह रहा था। दादाजी ने तुरंत निलेश को उठाकर पास के अस्पताल में ले गए।
घावों में दवाई लगाने के बाद अस्पताल के डॉक्टर ने दादाजी से कहा "चिंता की कोई बात नहीं है, घाव ज्यादा गहरा नहीं है पर हाँ इसे रेबीज के इंजेक्शन लगाने पड़ेगें"।
इंजेक्शन का नाम सुनकर निलेश रोने लगा, पर यह सब उसकी शरारत का फल था। उसने उसी समय प्रण किया कि अब फिर कभी वह किसी जानवर को न तो मारेगा और न ही परेशान करेगा। (Moral Stories | Stories)
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