Moral Story: आत्म बोध
टन..टन...न..न घंटी बजते ही बच्चे जल्दी जल्दी अपना अपना सामान बस्ते में ठूंस कर कक्षा से निकलने लगे। मदन ने अपनी किताबें समेटी ही थीं कि दीपक जल्दी से चलता हुआ उसके पास आया मदन जरा गणित की कॉपी दे देना।
टन..टन...न..न घंटी बजते ही बच्चे जल्दी जल्दी अपना अपना सामान बस्ते में ठूंस कर कक्षा से निकलने लगे। मदन ने अपनी किताबें समेटी ही थीं कि दीपक जल्दी से चलता हुआ उसके पास आया मदन जरा गणित की कॉपी दे देना।
सुंदर वन में सभी छोटे-बड़े जानवर आपस में बहुत मिल जुल कर रहते थे। सभी जानवरों ने अपने-अपने काम बाँट रखे थे। सभी अपना-अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करते थे, इसलिए कभी किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी।
तोंदूमल हाथी को एक बुरी आदत पड़ गई थी वह हर वक्त अपनी तोंद में कुछ न कुछ भरता ही रहता था। वह जो कुछ खाता, उधार लेकर खाता और किसी के पैसे न देता।
मृदुला, अब बस भी कर। दिन भर गुड्डे गुड़ियों का खेल खेलना पढ़ना नहीं है क्या? ‘‘मम्मी की आवाज़ सुनकर मृदुला ने अपनी सहेलियों से कहा- अब तुम लोग जाओ, मम्मी नाराज़ हो रही हैं’ फिर वह कमरे में आ गई जहाँ पर उसकी मम्मी बैठी हुईं थीं।
सुन्दर वन के राजा बब्बर शेर को अपनी ताकत पर बहुत घंमड हो गया था। वह सुन्दर वन में रहने वाले अन्य पशुओं को बहुत तंग करता था। अगर अकेले दुकेले में कोई पशु सामने पड़ जाता तो बब्बर शेर उस को मार कर खा जाने में परहेज नहीं करता।
जनवरी का महीना था। शहर के तमाम विद्यालयों में छात्रों एव अभिभावकों की भीड़ लगी थी। यह स्वभाविक भी था क्योंकि प्रत्येक विधालय में नये लड़कों का नामांकन शुरू हो गया था।
हिमाचल के घने जंगल में हाथियों का एक विशाल झुंड रहता था। उन सब में बहुत एकता थी। एक दूसरे की वे सब खूब सहायता करते थे। सबने मिलकर एक बूढ़े हाथी को मुखिया बना रखा था। सब मुखिया की बात मानते थे।