हिंदी जंगल कहानी: पिकनिक और टैक्स
रूमा गिलहरी फुदक-फुदक कर अमरूद इकट्ठे कर रही थी। कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर, बेचारी थक कर चूर हो गई थी। "क्या बात है रूमा बहन? आज अचानक इतनी दौड़-धूप?"
रूमा गिलहरी फुदक-फुदक कर अमरूद इकट्ठे कर रही थी। कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर, बेचारी थक कर चूर हो गई थी। "क्या बात है रूमा बहन? आज अचानक इतनी दौड़-धूप?"
किसी इलाके में एक जमींदार रहता था। उसके पास अपार धन-सम्पत्ति थी। जमीदार के दो पत्नियां थीं, माधवी और सुनंदा। माधवी से जमींदार के पांच पुत्र हुए- अमल, श्वेत, पलक, धीर और त्यागी।
प्राचीन काल में यज्ञदत्त नामक एक वेद ब्राहमण थे। उन्होंने अपने ज्ञान और प्रतिभा से पर्याप्त सम्पत्ति भी अर्जित की थी। उसकी पत्नी भी सुन्दर, सुशील तथा सुशिक्षित थी। उनके एक पुत्र था गुणनिधी।
राजस्थान की एक रियासत पर श्यामराज नाम का राजा राज करता था। वह जितना अधिक शक्तिशाली था, उतना ही अच्छा चित्रकार भी था। उसे नए-नए भवन बनवाकर उसमें चित्रकारी करने का शौक था।
पचास वर्तष पहले का एक वाकया है, साठ वर्ष तक दफ्तर में सुख से राज करने के पश्चात् जुगनू बाबू रिटायर हुए और अपने घर में आ बैठे। पहली तारीख को उनकी पेंशन मनीआर्डर से घर पहुंचने लगी।
एक बार मास्टर हरीरामजी को नौकर की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने शहर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि एक नौकर की आवश्यकता है। यह खबर शहर में जंगल की आग की तरह फैल गई।
मई की पच्चीस तारीख, शाम के पांच बजे पिद्दी पहलवान यानी पदमश्री लाल अपने परम मित्र हलवाई पुराणमल की दुकान पर आकर बैठ गये। अभी-अभी वे धन्नूमल के अखाड़े से कुश्तियां देख कर आ रहे थे।