हिंदी प्रेरक कहानी: मेहनत के रूपए
कृष्णपुर का राजा अश्वसेन बहुत अत्याचारी था। एक बार उसने किसी निर्दोष आदमी को फांसी की सजा सुना दी। फांसी के फंदे पर लटकने के पूर्व उस आदमी ने राजा को शाप दिया, तुम निःसंतान मरोगे।
कृष्णपुर का राजा अश्वसेन बहुत अत्याचारी था। एक बार उसने किसी निर्दोष आदमी को फांसी की सजा सुना दी। फांसी के फंदे पर लटकने के पूर्व उस आदमी ने राजा को शाप दिया, तुम निःसंतान मरोगे।
एक था राजा, जिसे देश-विदेश के किस्म-किस्म के रंग-बिरंगे पक्षी पालने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के खातिर वह खूब दौलत खर्च किया करता। प्रजा के कई लोग रात-दिन जंगलों मे जाते और जाल बिछाकर कई पक्षियों को कैद कर लेते।
आधी रात का समय था। पूरे मोहल्ले में सन्नाटा छाया हुआ था, लेकिन रामभरोसे की उस समय नींद टूटी हुई थी। आलम यह था कि गर्मियों के दिन थे और रामभरोसे अपने घर के बाहर एक पेड़ के नीचे सोये हुए थे।
निशु चूहे से बिल्लियां अब डरने लगीं थीं। निशु ने काम ही ऐसे किए थे। उसने कई बार बिल्लियों की गुदगुदी की थी कबड्डी खेलने की कोशिश की थी, और उनकी आंखों में धूल झोंक दी थी। और हर बार वह बच निकला था।
धनिया एक गरीब बच्चा था। न उसके पास रहने को घर था और न पहनने को वस्त्र। दिन भर वह कालोनी के लोगों के छोटे-मोटे काम करता था और जो कुछ रूखा-सूखा मिलता था उसी से पेट भर लेता था।
कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी। मां ने नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल दर्जे का शरारती नीटू केले खाकर छिलके खिड़की से सड़क पर फेंक रहा था।
सुबह का समय था। चारों ओर चटक धूप फैली हुई थी। क्यों न हाथी के ढाबे पर चाय पी जाए। चीकू खरगोश ने सोचा और ढाबे की तरफ चल पड़ा। "नमस्ते एनी भाई" वह मुस्कुराते हुए हाथी से बोला।