Motivational Story: जानवर
आधी छुट्टी की घंटी बजी तो बच्चे अपना अपना बस्ता उठा कर पार्क की ओर भागे। कुछ स्कूल कैन्टीन में चले गए। इन बच्चोें में एक बच्चा ऐसा भी था, जो सबसे अलग जा रहा था। जब वह खाना नहीं लाता था।
आधी छुट्टी की घंटी बजी तो बच्चे अपना अपना बस्ता उठा कर पार्क की ओर भागे। कुछ स्कूल कैन्टीन में चले गए। इन बच्चोें में एक बच्चा ऐसा भी था, जो सबसे अलग जा रहा था। जब वह खाना नहीं लाता था।
वन में सभी जानवर व पक्षी बरसात के आगमन की तैयारी करने में लगे थे, सिर्फ चूहा ही निश्चिंत हो अपने बिल में बैठा था, तभी खरगोश वहां आया क्यों चूहे भाई! तुम्हे बरसात की तैयारी नहीं करनी? देखो सभी लोग तैयारी में व्यस्त हैं।
सुन्दर वन में चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। मौसम कुछ ऐसा था कि कब आंधी आ जाये, इसका कोई ठिकाना नहीं था। मौसम के बदलते रूख से वन के पशु-पक्षी बेचैनी का अनुभव कर रहे थे उसी वन के निवासी एक मादा तोते ने दो अंडे दिये।
बहुत पुरानी बात है। एक था बादशाह बड़ा अकडू अपने आगे किसी को कुछ न समझने वाला। दूसरों को नीचा दिखाने में उसको बड़ा मजा आता था। अक्सर उसको कोई न कोई झक सवार हो जाया करती थी।
एक रात की बात है, बरसात की वह अंधेरी रात थी। एक बंदर की एक उड़ते हुए जुगनू पर नज़र पड़ गयी। उसने लपक कर उसे पकड़ लिया। बंदर ने खिसिया कर कहा, ‘भाग कर कहाँ जाओगे! डरपोक कहीं के। अंधेरे से डरते हो, तो बाहर क्यों निकलते हो?
पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे।
एक गांव में रामू किसान अपनी पत्नी शांति के साथ रहता था। रामू बहुत सीधा सादा और भला आदमी था। उसकी पत्नी शांति भी उसी तरह भली और नेक औरत थी। दोनों पति पत्नी घर आए महमानों की खूब खातिरदारी करते थे।