हिंदी नैतिक कहानी: दो पुत्रियों की माता
अरी सुन! किसान ने पत्नी को पुकारा और बाल्टी में चूना घोलने लगा। पत्नी आवाज़ सुनकर आ गयी और किसान के कामों में सहयोग करने लगी। उसकी दो बेटियां भी थीं- फूलमती और वीरमती!
अरी सुन! किसान ने पत्नी को पुकारा और बाल्टी में चूना घोलने लगा। पत्नी आवाज़ सुनकर आ गयी और किसान के कामों में सहयोग करने लगी। उसकी दो बेटियां भी थीं- फूलमती और वीरमती!
निशु चूहे से बिल्लियां अब डरने लगीं थीं। निशु ने काम ही ऐसे किए थे। उसने कई बार बिल्लियों की गुदगुदी की थी कबड्डी खेलने की कोशिश की थी, और उनकी आंखों में धूल झोंक दी थी। और हर बार वह बच निकला था।
बहुत समय पहले की बात है। बगदाद में एक चरवाहा रहता था। उसका नाम अबू था। उसके पास कई भेड़ बकरियां थीं, जिन्हें वह रोज़ाना पास की पहाड़ियों पर चराने ले जाता था। वैसे तो अबू एक अच्छा इंसान था।
एक जंगल मे एक शेर रहता था। उसी जंगल में एक सूअर का परिवार भी रहता था। सूअर का परिवार अपने खाली समय में जंगल में बने एक तालाब के कीचड़ में लोट पोट होता रहता था। सूअर के बच्चे तालाब के कीचड़ में उछल कूद करते रहते थे।
एक विशाल पेड़ था। उस पर बहुत सारे हंस रहते थे। उनमें एक बुद्धिमान और दूरदर्शी हंस था। उन्हें सभी आदरपूर्वक ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे। पेड़ के तने पर जड़ के निकट नीचे लिपटी हुई एक बेल को देखकर ताऊने कहा।
मबावा नाम का एक सियार था, एक दिन उसने फलों से लदे पेड़ को खोज निकाला। उसने पेड़ से गिरे पके रसीले फल इकठ्ठे किये और बस उनका स्वाद लेकर खाने बैठा ही था कि उसे दूर से आती शेर की दहाड़ सुनाई दी।
एक धोबी का गधा था। वह दिन भर कपड़ों के गट्ठर इधर से उधर ढोने में लगा रहता। धोबी स्वयं कंजूस और निर्दयी था। अपने गधे के लिए चारे का प्रबंध नहीं करता था। बस रात को चरने के लिए खुला छोड़ देता।