हिंदी नैतिक कहानी: जीवन की सीख
कीर्ति, नेहा, सोनू, प्रिया और उनकी क्लास के बाकी साथी आज बहुत खुश थे, गर्मियों की छुट्टियों के बाद अभी स्कूल को खुले कुछ ही दिन हुए थे कि उन्हें पिकनिक पर ले जाया जा रहा था।
कीर्ति, नेहा, सोनू, प्रिया और उनकी क्लास के बाकी साथी आज बहुत खुश थे, गर्मियों की छुट्टियों के बाद अभी स्कूल को खुले कुछ ही दिन हुए थे कि उन्हें पिकनिक पर ले जाया जा रहा था।
एक बार राजा मान सिंह ने राज्य में अंधे लोगों को भीख देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अंधा व्यक्ति भीख लेने से छूट न जाए।
अरी सुन! किसान ने पत्नी को पुकारा और बाल्टी में चूना घोलने लगा। पत्नी आवाज़ सुनकर आ गयी और किसान के कामों में सहयोग करने लगी। उसकी दो बेटियां भी थीं- फूलमती और वीरमती!
उस दिन की दोपहर झामू (घर का नौकर) के लिए काफी व्यस्त थी क्योंकि वो पूरा दिन मूर्ति के पीछे भागता रहा। मूर्ति बड़ा ही शरारती बच्चा था और वो कभी किसी का कहा नहीं मानता था।
रीता और रंजन भाई-बहन थे। उनके पिता जी का तो व्यापार था। इसलिए वे अपने व्यापार में व्यस्त रहते थे। महीने में पंद्रह दिन तो व्यापार के सिलसिले में बंगलौर रहते थे। घर में मां का ही हुक्म चलता था।
अविनाश आज उदास मन से स्कूल से घर लौटा। क्या स्कूल में किसी से झगड़ा हो गया या फिर अध्यापक जी ने पढ़ाई के बारे में मारा? पता नहीं अविनाश आज क्यों उदास है।
पुरानी बात है, सुन्दरनगर नाम का एक गांव था वहां के अधिकतर लोग खेती बाड़ी करते थे। स्त्री-पुरूष सभी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। आपस में मिलजुल कर औैर बड़े प्रेम भाव से रहते थे।