Fun Story: अक्लमंद बुढ़िया
शहर से बाहर एक बुढ़िया का बहु मंजिला मकान था उस मकान में बुढ़िया अकेले नीचे वाले फ्लोर पर रहती थी एक रात एक चोर उसके घर में घुसा। खटपट से बुढिया की आंख खुल गई।
शहर से बाहर एक बुढ़िया का बहु मंजिला मकान था उस मकान में बुढ़िया अकेले नीचे वाले फ्लोर पर रहती थी एक रात एक चोर उसके घर में घुसा। खटपट से बुढिया की आंख खुल गई।
दीवाली पर जंगल में सौन्दर्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसीलिए तो सभी जानवरों ने इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए जान लगा दी थी। दीवाली के आने से पहले ही पूरे जंगल में चहल-पहल बढ़ गई थी।
वह सोलह वर्षीय किशोर उन दिनों दाँतों के असह्य दर्द से बुरी तरह छटपटा रहा था। उच्च माध्यमिक विद्यालय स्तर के स्कूल में पढ़ने वाला यह मेघावी छात्र बेन, को दाँतों की पीडा से राहत पाने की गरज से पूछा तुम्हें किस नाम से पुकारते हैं, भैया?
एक थी गरीब भोली-भाली लड़की कनिका। सीधी, सरल लड़की अपनी मां के साथ रहती। अक्सर दोनों मां-बेटी को भूखा ही सोना पड़ता, क्योंकि जहां वह रहती थीं, वहां उन्हें कोई काम भी नहीं मिल पाता था।
सुंदर वन में सभी छोटे-बड़े जानवर आपस में बहुत मिल जुल कर रहते थे। सभी जानवरों ने अपने-अपने काम बाँट रखे थे। सभी अपना-अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करते थे, इसलिए कभी किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी।
तोंदूमल हाथी को एक बुरी आदत पड़ गई थी वह हर वक्त अपनी तोंद में कुछ न कुछ भरता ही रहता था। वह जो कुछ खाता, उधार लेकर खाता और किसी के पैसे न देता।
मृदुला, अब बस भी कर। दिन भर गुड्डे गुड़ियों का खेल खेलना पढ़ना नहीं है क्या? ‘‘मम्मी की आवाज़ सुनकर मृदुला ने अपनी सहेलियों से कहा- अब तुम लोग जाओ, मम्मी नाराज़ हो रही हैं’ फिर वह कमरे में आ गई जहाँ पर उसकी मम्मी बैठी हुईं थीं।