मजेदार हिंदी कहानी: घमण्डी राजा
एक राजा था, बड़ा घमण्डी व अत्याचारी। वह अपने आप को बहुत चतुर समझता था और बहुत जिद्दी था। एक बार एक ज्योतिषी उनके दरबार में आए। राजा के घमण्डी व जिद्दी होने की बात वे पहले ही सुन चुके थे।
एक राजा था, बड़ा घमण्डी व अत्याचारी। वह अपने आप को बहुत चतुर समझता था और बहुत जिद्दी था। एक बार एक ज्योतिषी उनके दरबार में आए। राजा के घमण्डी व जिद्दी होने की बात वे पहले ही सुन चुके थे।
एक महात्मा से किसी ज्ञानवान मनुष्य ने पूछा- हर बरस रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है? जबकि वह तो कब का मर चुका है। महात्मा ने कहा- जिस तरह आम का कोई वृक्ष मीठे फलों की जगह जहरीले फल देना शुरू कर देता है।
एक राजा अत्यन्त निर्दयी और अत्याचारी था। वह जनता को हर तरह से दुःख और कष्ट दिया करता। सारी जनता राजा के व्यवहार से दुःखी रहती थी। अचानक एक दिन उस राजा के राज्य में एक साधु आया।
सूर्य नगर में धनंजय नाम का एक बहुरूपिया रहता था अपनी रूप बदलने की कला को प्रदर्शित कर वह लोगों को प्रसन्न करता था। और अपनी जीविका चलाता था इस कला में वह इतना दक्ष था कि कई बार लोग उसे पहचान नहीं पाते थे।
पुरानी बात है, सुन्दरनगर नाम का एक गांव था वहां के अधिकतर लोग खेती बाड़ी करते थे। स्त्री-पुरूष सभी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। आपस में मिलजुल कर औैर बड़े प्रेम भाव से रहते थे।
जंगल में जोनू शेर का दबदबा था। जंगल के सारे प्राणी उसकी आज्ञा का पालन करते थे। जोनू के शाही महल के रास्ते पर ही महात्मा नीकू हाथी की विशाल कुटिया थी।
डॉण मार्क एक प्रसिद्ध कैंसर स्पैश्लिस्ट थे, एक बार किसी सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसी दूर के शहर जा रहे थे। वहां उनको उनकी नई मैडिकल रिसर्च के महान कार्य के लिए पुरस्कृत किया जाना था।