Jungle Story: मित्र की सलाह
एक धोबी का गधा था। वह दिन भर कपड़ों के गट्ठर इधर से उधर ढोने में लगा रहता। धोबी स्वयं कंजूस और निर्दयी था। अपने गधे के लिए चारे का प्रबंध नहीं करता था। बस रात को चरने के लिए खुला छोड़ देता।
एक धोबी का गधा था। वह दिन भर कपड़ों के गट्ठर इधर से उधर ढोने में लगा रहता। धोबी स्वयं कंजूस और निर्दयी था। अपने गधे के लिए चारे का प्रबंध नहीं करता था। बस रात को चरने के लिए खुला छोड़ देता।
एक घने जंगल में गिद्धों का एक झुण्ड रहता था। गिद्ध झुण्ड बनाकर लम्बी उड़ान भरते और शिकार की तलाश किया करते थे। एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ते उड़ते एक ऐसे टापू पर पहुँच गया जहां पर बहुत ज्यादा मछली और मेंढक खाने को थे।
मच्छर का परिवार बहुत परेशान था। दिन पर दिन महंगाई बढ़ती जा रही थी और परिवार के सब प्राणी अब तक बेरोज़गार थे। आखिर मांग मांग कर कब तक गाड़ी खिचती। फिर कोई कब तक किसी को देता रहेगा।
एक बार हंसों की डार उड़ती-उड़ती नदी के किनारे पहुंची। वहां पर एक तोता बड़े ही जोश में आसमान में लम्बी-लम्बी उड़ारियां लगा रहा था। तोते ने उस हंसों के झुण्ड को नदी किनारे देखा। तोता उड़ान भरता-भरता हंसों के पास गया।
नदी किनारे एक विशाल पेड़ था। उस पेड़ पर बगुलों का बहुत बड़ा झुंड रहता था। उसी पेड़ के कोटर में काला नाग रहता था। जब अंडों से बच्चे निकल आते और जब वह कुछ बड़े होकर मां-बाप से दूर रहने लगते, तभी वह नाग उन्हें खा जाता था।
छोटा बबलू हिरन बड़ा डरपोक था, पेड़ के पत्ते हवा से हिलते तो भी वह डर के मारे उछलकर अपनी माँ की गोद में दुबक जाता। वह बाहर मित्रों के साथ खेलने भी नहीं जाता। वह कहता ‘‘ना बाबा ना, मैं घर के बाहर नहीं जाऊँगा।
एक चूहा था जिसका नाम मिंटू था। मिंटू की मूंछें इतनी लम्बी थीं कि चलते समय वह उसके पाँव से लिपट जाती थीं। इसलिए मिंटू अपनी मूंछों को सिर के पीछे बाँध लेता था। मिंटू के बाकी साथी उसकी मूंछें लंबी होने के कारण उसे हमेशा चिढ़ाते थे।