Moral Story: भक्तों का ढोंग
एक बार नारद मुनि पृथ्वी लोक के भ्रमण को आए। घूमते-घूमते नारद मुनि एक मंदिर के पास पहुंचे। मंदिर में भक्तों की भक्ति को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। मंदिर में भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना कर रहे थे।
एक बार नारद मुनि पृथ्वी लोक के भ्रमण को आए। घूमते-घूमते नारद मुनि एक मंदिर के पास पहुंचे। मंदिर में भक्तों की भक्ति को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। मंदिर में भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना कर रहे थे।
सम्राट वीरभद्र के दान की कहानियां लोक विख्यात हो चुकी थीं। उनके संबंध में यह कहा जाता था कि द्वार पर आने वाला कोई भी याचक उनके यहां से खाली हाथ नहीं जाता था। प्रातः होते ही राजमहल के द्वार पर याचकों की भीड़ लग जाती।
प्रदीप की मां ने रामू को बाजार से सामान लाने के लिये रूपये और थैला पकड़ा दिया। रामू 15-16 वर्षीय किशोर था और बचपन से ही घर में काम करता था। रामू जब बाजार से खरीदारी करके लौट रहा था।
एक लड़का था उसका नाम था केशव लेकिन उसके नाना जी प्यार से उसके नाम के साथ लाल लगा देते थे जिससे वह केशवलाल बन गया था। जब भी उसे कोई पुकारता तो इसी नाम से।
श्यामपुर के वैद्य जगन्नाथ जी एक माने हुए वैद्य थे। स्वयं की बनाई दवाईयों से वह लोगों की शारीरिक समस्याओं को बिल्कुल दूर कर देते थे और गए से गए रोगियों के रोग दूर करके उन्हें तुरन्त खड़ा कर देते थे।
धर्मपुर के राजा मंगलदेव बड़े ही प्रतापी थे। उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी। मंगलदेव हमेशा अपनी प्रजा के हित के बारे में सोचते रहते थे इसी कारण वहां की प्रजा उन्हें बहुत चाहती थी। मंगलदेव का एक पुत्र था बलवन्तदेव।
डॉ. गोयबेल्स हिटलर के प्रसार मंत्री थे। एक दफा उन्होंने एक वृद्ध यहूदी पादरी से कहा "यहूदी, सुना है कि तुम लोग अपने धर्मग्रंथ 'तालमुद' पर आधारित एक विशेष तरह के तर्क का प्रयोग करते हो।