रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज
रतन टाटा जी से एक बार एक रेडियो प्रेजेंटर ने पूछा, "सर, जीवन में आपको सबसे ज्यादा खुशी कब मिली?" रतन जी ने जवाब दिया, "मैंने अपने जीवन में चार चरणों को पार किया और अंत में सच्ची खुशी का अर्थ समझा।"
रतन टाटा जी से एक बार एक रेडियो प्रेजेंटर ने पूछा, "सर, जीवन में आपको सबसे ज्यादा खुशी कब मिली?" रतन जी ने जवाब दिया, "मैंने अपने जीवन में चार चरणों को पार किया और अंत में सच्ची खुशी का अर्थ समझा।"
असली ज्ञान की खोज- एक संत थे, जो सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए दिन-रात साधना और तपस्या में लीन रहते थे। उनका एक ही लक्ष्य था - सभी विद्याओं का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना। उन्होंने माटी के दीपक की मंद रोशनी में रात-रात भर अध्ययन किया।
एक बार स्वामी विवेकानंद रेल में सफर कर रहे थे। उनके सामने वाली सीट पर एक अंग्रेज महिला अपने छोटे और प्यारे बच्चे के साथ बैठी थी। यात्रा के दौरान एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी, और स्वामीजी ने कुछ संतरे खरीदे।
यह कहानी महर्षि के अद्भुत ज्ञान और उनके शिष्यों नवल और समर के जीवन की है। महर्षि ने अपने शिष्यों को हमेशा सच्चाई की महत्वता बताई। वर्षों बाद, जब महर्षि फूलपुर गाँव से गुज़रे, तो उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाया।
"आँख की बाती" एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें सिखाती है कि हमारी सोच और समझ हमारे व्यवहार को कैसे प्रभावित करती है। यह कहानी एक छोटी सी बाती और एक अंधे व्यक्ति के बीच के संवाद के माध्यम से यह संदेश देती है
रोनक, जो नई दिल्ली में रहता है, हमेशा नए-नए प्रयोग करने का शौक रखता था। उसे तकनीक और खासकर ड्रोन उड़ाने का बहुत शौक था। एक दिन, उसने अपने स्कूल में एक विज्ञान मेला होने की सूचना सुनी, जिसमें बच्चों को अपने विज्ञान के प्रोजेक्ट्स दिखाने थे।
राजू और मोहन, दोनों पक्के दोस्त थे। उनकी दोस्ती पूरे मोहल्ले में मशहूर थी। दोनों साथ में स्कूल जाते, खेलते और पढ़ाई भी करते। एक दिन स्कूल में एक बड़ी प्रतियोगिता की घोषणा हुई
यह कहानी सुधीर और राजेश के माध्यम से हमें बताती है कि जीवन में फिजूलखर्ची और कंजूसी के बीच सही संतुलन कैसे बनाए रखा जाए। बूढ़े बाबा का दृष्टांत हमें यह समझने में मदद करता है