Moral Story: शेर लोमड़ी और भिक्षुक
एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने कुछ अनोखा देखा, ‘‘कितना अजीब है ये!’’ उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा।
एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने कुछ अनोखा देखा, ‘‘कितना अजीब है ये!’’ उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा।
एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु-बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था, उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था। वो एक छोटे से घर में रहते थे, पूरा परिवार और उसका चार वर्षीय पोता।
एक पिता अपनी चार वर्षीय बेटी मिनी से बहुत प्रेम करता था। ऑफिस से लौटते वक्त वह रोज़ उसके लिए तरह-तरह के खिलौने और खाने-पीने की चीजें लाता था। बेटी भी अपने पिता से बहुत लगाव रखती थी।
दो टैडपोल एक कुएं में बड़ी मस्ती से घूम रहे थे। दोनों अपनी पूंछ हिलाते और बाकी मेंढकों को अपना खेल दिखाते। उनकी शैतानियाँ देखकर एक वयस्क मेंढक बोला, “जितनी पूंछ हिलानी है हिला लो, कुछ दिन बाद ये गायब हो जायेगी।’’
एक समय की बात है दियत्स नाम की नगरी एक नदी किनारे बसी हुई थी। वहां का राजा बहुत ही मूर्ख और सनकी था। एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ संध्या के समय नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसने मंत्री से पूछा।
एक जंगल मे एक शेर रहता था। उसी जंगल में एक सूअर का परिवार भी रहता था। सूअर का परिवार अपने खाली समय में जंगल में बने एक तालाब के कीचड़ में लोट पोट होता रहता था। सूअर के बच्चे तालाब के कीचड़ में उछल कूद करते रहते थे।
एक विशाल पेड़ था। उस पर बहुत सारे हंस रहते थे। उनमें एक बुद्धिमान और दूरदर्शी हंस था। उन्हें सभी आदरपूर्वक ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे। पेड़ के तने पर जड़ के निकट नीचे लिपटी हुई एक बेल को देखकर ताऊने कहा।