Jungle Story: दुख की आवश्यकता
‘‘हाय रे भगवान! मुझ पर इतना बड़ा क्रोध! तुमने मुझे कितना बड़ा धोखा दिया। सुबह-शाम तेरी माला जपती थी। कुछ गलत काम नहीं करती थी। गजराज हाथी दादा के पास जाकर उपदेश सुनती थी, फिर भी तुम ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।’’
‘‘हाय रे भगवान! मुझ पर इतना बड़ा क्रोध! तुमने मुझे कितना बड़ा धोखा दिया। सुबह-शाम तेरी माला जपती थी। कुछ गलत काम नहीं करती थी। गजराज हाथी दादा के पास जाकर उपदेश सुनती थी, फिर भी तुम ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।’’
एक बार एक किसान अपनी पत्नी व इकलौती लड़की के साथ गांव में रहता था। एक दिन एक नौजवान आया और उस ने किसान से कहा, कि मैं आपकी बेटी से विवाह करना चाहता हूँ किसान और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए।
सुबह न जाने किस का मुंह देख कर उठा था कि मुझे अपने एक मित्र ऐहसान साहब का मैसेज मिला की उनके साले किसी काम से तुम्हारे शहर में आ रहे हैं, तुम्हारे यहाँ ठहरेंगे।
एक किसान था, इस बार वह फसल कम होने की वजह से चिंतित था। घर में राशन ग्यारह महीने चल सके उतना ही था। बाकी एक महीने के राशन का कहां से इंतजाम होगा। यह चिन्ता उसे बार बार सता रही थी।
शनिवार के दिन बच्चों का स्कूल सुबह का रहता है। सुभाष, मफत और किरण सारे बच्चों को सवेरे जल्दी ही उठना पड़ता है। उस दिन भी सुभाष और मफत स्कूल जाने की तैयारी में व्यस्त थे।
आपको शेर और खरगोश की कहानी अच्छी तरह याद होगी कि ‘एक शेर था।’ वह जब बूढ़ा हो गया तो उसने एक-एक जानवर रोज़ बुलाकर खाना शुरू किया। फिर एक दिन जब खरगोश की बारी आयी तो वह भी गया।
एक सुनार था, उसकी दुकान के पास ही एक लोहार की दुकान थी एकदम सटी हुई। सुनार जब काम करता तो उसकी दुकान से बहुत धीमी आवाज़ आती, किन्तु जब लोहार काम करता तो उसकी दुकान से कानों को फोड़ देने वाली आवाज़ आती थी।