Stories Moral Story: मौत से टक्कर कल्लू, लल्लन और मुन्ना तीनों लड़के सड़क के किनारे बैठकर खिलौने बेचा करते थे तीनों अपनी अपनी टोकरी में तरह तरह के खिलौने भरकर सुबह ही अपनी जगह पर आकर बैठ जाते थे। वह इलाका भीड़वाला और बाजार के करीब था। By Lotpot 18 Apr 2024
Stories Moral Story: तीन मूर्ख बहुत समय पहले हरिपुर में एक राजा राज करता था। उसका नाम सुप्रताप सिंह था। यों सुप्रताप सिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम थे। जैसे की वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था। By Lotpot 17 Apr 2024
Stories Moral Story: प्रायश्चित अशरफ को समझ में नहीं आ रहा था की वह पापा को कैसे समझाए कि उनके कारण लड़के उसे जल्लाद का बेटा कहते हैं। उसके पापा नगर के सरकारी अस्पताल में कम्पाउंडर हैं, उन्हें जरा-जरा सी बात पर क्रोध आ जाता है। By Lotpot 16 Apr 2024
Stories Moral Story: ऐसे गुरु ऐसा शिष्य एक बार सिकंदर और उसके गुरू अरस्तु कहीं जा रहे थे रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता था। कुछ दूर उफनता हुआ बरसाती नाला था। उसे पार किए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं था। By Lotpot 15 Apr 2024
Stories Moral Story: नकलची सुरेश अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था। पढ़ने-लिखने में वह बिलकुल ही कमजोर था। साथ ही उसमें ये कमी थी कि वो खुद को बहुत ही बुद्धिमान समझता था। किसी को कुछ करते देख लेता तो तुरंत उसकी नकल उतारने लगता। By Lotpot 13 Apr 2024
Stories Moral Story: कहानी मूर्खा की तेंदुआ गांव में एक लड़का रहता था। उसका नाम था मूर्खा। वह बिल्कुल मूर्ख था। हमेशा मूर्खतापूर्ण काम करता था। इस कारण लोग उसे 'मूर्खा' कहकर पुकारते थे। उसकी मां मूर्ख के व्यवहार और बुद्धि से बहुत दुःखी रहा करती थी। By Lotpot 11 Apr 2024
Stories Moral Story: विश्वास की जीत किसी गाँव मे एक साधु रहा करता था, वो जब भी नाचता तो बारिश होती थी। अतः गाँव के लोगों को जब भी बारिश की जरूरत होती थी, तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते कि वे नांचें। By Lotpot 09 Apr 2024
Stories Moral Story: बेकार दौलत एक राजा ने राज्य में क्रूरता से बहुत दौलत इकट्ठा करके आबादी से बाहर जंगल में एक सुनसान जगह पर तहखाना बनवाकर उसमें छुपा दिया। खजाने की सिर्फ दो चाबियां थीं। एक चाबी राजा के पास और एक खास मंत्री के पास। By Lotpot 08 Apr 2024
Stories Moral Story: अकलूराम ने अक्ल खरीदी एक थे पंडित जी नाम था अकलूराम जब तक उनके पिताजी थे, उन्हें रोजी-रोटी सम्बन्धि जरा भी चिंता नहीं हुई क्योकि पिताजी को जजमानों के यहां से अच्छी खासी-आमदनी हो जाया करती थी। अकलू राम भरपेट खाते और गप्पे हांका करते थे। By Lotpot 06 Apr 2024