बच्चों की मजेदार हिंदी कहानी: नहले पर दहला:- प्रीतमपुर में एक जाट रहता था। साधारण नहीं बल्कि जिसके बारे में कहा जाता था, "दूसरों को मूर्ख बनाओ, और मौज उड़ाओ"। उस जाट को सब गंगू कह कर पुकारते थे। एक बार गंगू को एक बैल की आवश्यकता पड़ गई। उसके पास गाड़ी तो थी, पर बैल न था। गंगू खरीदने की अपेक्षा बिना पैसों के बैल लेने की अटकलें लड़ा रहा था। तभी उसे एक तरकीब सूझी। (Fun Stories | Stories)
अगले दिन उसने सारे गांव में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो व्यक्ति उसकी दिखाई गई चीज का नाम बता देगा उसको इनाम के तौर पर दस हज़ार रूपया दे दिया जायेगा और जो इस शर्त में पूरा न उतरा, उसे अपना एक बैल देना पड़ेगा।
ढिंढोरा सुनकर गांव वाले चकित रह गये कि गंगू दस हज़ार रूपया इनाम देगा। अगले दिन नत्थू नामक बनिया मैदान में उतरा। वह गंगू के घर गया और बोला- "मैं तुम्हारी शर्त मानता हूं। दिखाओ किस चीज का नाम पूछना है?"
गंगू ने गांव के मुखिया को बुलाया। फिर नत्थू और मुखिया को लेकर अपने घर आया। घर के आंगन में गंगू की बैलगाड़ी बिना बैल के खड़ी थी। गंगू ने गाड़ी की ओर इशारा करके नत्थू से कहा, ''यह क्या है?"
नत्थू बनिया पहले तो कुछ शरमाया, फिर हंस कर बोला- "ले भाई, यह भी कोई बात है, यह तो बैलगाड़ी है"। (Fun Stories | Stories)
"अच्छा भाई नत्थू तेरी बात मानी पर अब तू गाड़ी को हाथ लगाकर दिखा"। गंगू बोला। गांव के मुखिया समझ रहे थे शायद गंगू के दिमाग का कोई पुर्जा ढीला पड़ गया है। नत्थू ने मुस्कुराते हुए गाड़ी के एक पहिए को हाथ लगा कर कहा- "ले यह गाड़ी है"।
पर गंगू बड़े संयम से बोला- "पर भइया, यह तो गाड़ी का पहिया है, तू गाड़ी को हाथ लगा"। नत्थू जरा हैरान हुआ, पर वह भी...
पर गंगू बड़े संयम से बोला- "पर भइया, यह तो गाड़ी का पहिया है, तू गाड़ी को हाथ लगा"। नत्थू जरा हैरान हुआ, पर वह भी कच्ची गोलियां नहीं खेला था। उसने गाड़ी की पीठ को हाथ लगाकर कहा- "ले यह गाड़ी है"।
गंगू अभी भी न माना। हंसते हुए कहने लगा, "वाह भई वाह, यह तो गाड़ी की पीठ हुई। गाड़ी कहां है?" (Fun Stories | Stories)
नत्थू भी कम न था। उसने बार-बार कभी गाड़ी के बांसों पर, कभी उसके पुर्जे पर हाथ लगाये, और कहता रहा- "यह गाड़ी है"। पर गंगू भी नत्थू को उन चीजों के नाम बताता रहा, और उसे गाड़ी को हाथ लगाने के लिए कहा। मुखिया ने भी गंगू की ही बात को स्वीकारा।
आखिर नत्थू हार गया। उसने मुखिया के सामने वचन दिया कि वह परसों अपना बैल गंगू को दे देगा। नत्थू बनिया अपना सा मुंह लेकर घर लौट आया। बैल के बिना खेती नहीं हो सकती थी। उसे शर्त हार जाने का बहुत दुख था। आखिर उसे भी एक सूझ आ ही गई।
निश्चित दिन वह अपना एक मात्र बैल लेकर मैदान में खड़ा हो गया। कुछ देर बाद गंगू और गांव का मुखिया भी मैदान में आ गये। इधर गंगू जाट अपनी जीत पर ख़ुश था, तो उधर नत्थू बनिया अपनी सोची तरकीब पर प्रसन्न हो रहा था। (Fun Stories | Stories)
जब सब आ गये तो नत्थू ने गंगू से कहा- "पहले बैल को हाथ लगाकर बता कि यह बैल है। फिर इसे अपने घर ले जाना"।
गंगू ने जल्दी से बैल की पीठ पर हाथ फेर कर कहा- "यह है बैल"।
"पर यह तो बैल की पीठ हुई, मैं तो कह रहा हूं कि तू बैल को हाथ लगा"। नत्थू बोला।
अब तो गंगू को अपनी चतुराई याद आ गई। उसने बैल के माथे पर हाथ रख कर कहा- "यह बैल है"। इसी प्रकार गंगू बैल के शरीर के हिस्सों पर हाथ रख कर कहता रहा। पर नत्थू कहता रहा कि वह उसके बैल को हाथ लगाये। उसके अंगो पर नहीं।
अब गंगू की सारी चतुराई पर पानी फिर गया। वह अपना सा मुंह लेकर रह गया। मुखिया ने भी नत्थू की बात को माना। इस तरह नत्थू का एकमात्र बैल बच गया। क्योंकि नत्थू ने गंगू के नहले पर, अपना दहला जो मारा था। (Fun Stories | Stories)
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