हिंदी नैतिक कहानी: लालच का फल
प्राचीन काल में सीतारामपुर नामक एक गांव था। उस गांव में एक वृद्ध दम्पति रहा करते थे। लकड़ियाँ काट कर वे किसी तरह अपना गुजारा करते थे। गरीब होने के बावजूद वे ईमानदार थे। उनके पड़ोस में एक दुष्ट सेठ रहता था।
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प्राचीन काल में सीतारामपुर नामक एक गांव था। उस गांव में एक वृद्ध दम्पति रहा करते थे। लकड़ियाँ काट कर वे किसी तरह अपना गुजारा करते थे। गरीब होने के बावजूद वे ईमानदार थे। उनके पड़ोस में एक दुष्ट सेठ रहता था।
गांव के साप्ताहिक बाजार के बाहर एक व्यापारी अपने मिट्टी के बर्तन एक बोरे में भर रहा था। उसने ज्यादा से ज्यादा बर्तन उस बोरे मे ठूंस दिए कि तभी अचानक उसकी नजर एक मजदूर पर पड़ी।
यह कहानी उस कौवे के बारे में है जो रोज नर्सरी स्कूल जाया करता था। रोज़ इंटरवल के वक्त बच्चे मैदान में कुछ भोजन के टुकड़े गिरा देते थे। कौवा उनको खाने के लिए मैदान में आता था।
विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय कला के पुजारी थे। उनके दरबार में अक्सर संगीतकार, कलाकार, जादूगर आदि आते रहते थे। राजा इस बात के लिए मशहूर थे कि वे हर कलाकार को अच्छा इनाम देते थे।
अम्मा मोहल्ले की कोई सामान्य वृद्ध महिला नहीं थी। आस पड़ोस के सभी बच्चे और स्त्रियां उन्हे सम्मान पूर्वक अम्मा कह कर सम्बोधित करते थे। वे अपने बेटे और पुत्र वधु के साथ रहती थीं।
जब अमित ने ऐलान किया कि वह एक विदेशी लड़की से विवाह करेगा तो घर में तूफान आ गया। “जिस लड़की से तुम विवाह करने जा रहे हो वह क्रिश्चियन है क्या?
कठिन परिस्थितियों में हम सभी आम तौर पर बाहर से सहायता की अपेक्षा करते हैं। अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि समस्या का समाधान उनके स्वंय के अन्दर ही निहित है।