हिंदी नैतिक कहानी: एक असाधारण अनुभव
सामान्य दृष्टि वाले लोग अक्सर वह सब कुछ नहीं देख पाते जो उनके सामने होता है। इसके विपरीत वे लोग जो दृष्टि विहीन होते हैं अपने सामने की सभी वस्तुओ को ध्यान पूर्वक अपने ज्ञान में समा लेते हैं।
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सामान्य दृष्टि वाले लोग अक्सर वह सब कुछ नहीं देख पाते जो उनके सामने होता है। इसके विपरीत वे लोग जो दृष्टि विहीन होते हैं अपने सामने की सभी वस्तुओ को ध्यान पूर्वक अपने ज्ञान में समा लेते हैं।
गांव की एक औरत अपने लड़के को प्राइमरी स्कूल में दाखिल करवाना चाहती थी। उसका खुद का बचपन भी बड़े कष्टों में बीता था। उसका पति एक मजदूर था जो रोज कमाता और रोज खाता था।
केवल पुस्तकें पढ़ लेने से ही कोई व्यक्ति अच्छे रूप से ज्ञानी नहीं हो जाता। जीवन में कई अन्य कुशलताओं का भी उतना ही महत्व है। प्रोफेसर राव को इस बात का ज्ञान काफी समय के बाद हुआ।
किसी शहर के एक मोहल्ले में एक बूढ़ी औरत बिलकुल अकेले रहती थी। मोहल्ले में सभी उन्हें ताई जी कहते थे। वे एक बेवा थीं और उनकी आवश्यकताएं न्यूनतम थीं।
नेपोलियन के पास एक बार उसका परिचित एक व्यक्ति को लेकर आया जिसे वह सेना नायक के पद पर नियुक्त कराना चाहता था। यह एक बहुत कुशल और अनुभवी सेना नायक रह चुका है।
महाराजा कृष्णा देव राय को एक बार एक अनोखा उपहार मिला। विदेश से आए एक सौदागर ने उन्हें कुछ सुन्दर बिल्लियां भेट में दीं। महाराज ने सौदागर को धन्यवाद कहा और राज्य की ओर से सौ स्वर्ण मुद्रिकायें उपहार स्वरूप भेंट कीं।
भारत के किसी प्रान्त में एक गांव था, उस गांव के आस पास 10 कि.मी तक कोई अस्पताल नहीं था। जब भी कोई बीमार पड़ता उसका एक मात्र सहारा गांव के हकीम ही थे।