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किताबें केवल पढ़ने का साधन नहीं, बल्कि रंग-बिरंगे सपनों की दुनिया होती हैं। मुनिया की किताब भी बच्चों को खेल-खेल में सीखने और आनंद लेने का नया तरीका सिखाती है।
काले अक्षर की माला में गुंथा हुआ जवाब हूं,
मैं तो प्यारी मुनिया की एकदम नयी किताब हूं।
मेरे भीतर कई कहानियाँ, कितने सारे रंग,
उड़ता बादल, चहकी चिड़िया, सब हैं मेरे संग।
उड़नखटोला अभी उड़ा है लेकर सपने साथ,
आस-पास की सैर करेंगे, दे दो अपना हाथ।
प्यासा कौवा ढूंढ रहा है पानी की एक मटकी,
शेर आ रहा पास, है अब तो सांस हमारी अटकी।
मुन्ना खाए आम रसीला, मुनिया देखे फूल,
खेल-खेल में पढ़ते बच्चे, सारी बातें भूल।
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