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सीखो – जीवन को सफल और सुखमय बनाने की प्रेरणा

“सीखो” कविता एक प्रेरणादायक रचना है, जो बच्चों को जीवन के छोटे-छोटे लेकिन गहरे सबक सिखाती है। इस कविता का मूल भाव यही है कि हम अपने चारों ओर मौजूद प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

By Lotpot
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“सीखो” कविता एक प्रेरणादायक रचना है, जो बच्चों को जीवन के छोटे-छोटे लेकिन गहरे सबक सिखाती है। इस कविता का मूल भाव यही है कि हम अपने चारों ओर मौजूद प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकते हैं। फूलों की हँसी, भौंरों का गान, पेड़ों की झुकी हुई डालियाँ, हवा के झोंके, सूरज की किरणें, दूध-पानी का मेल, मछली का साहस और पतझड़ के पेड़ों का धैर्य — ये सभी हमें जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं।

यह कविता बच्चों को सिखाती है कि जीवन में केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि विनम्रता, प्रेम, धैर्य, त्याग, देशभक्ति और आपसी मेल-मिलाप भी बहुत ज़रूरी हैं। बच्चे जब यह कविता पढ़ते हैं, तो उन्हें समझ आता है कि सीखना केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रकृति भी हमारी सबसे बड़ी गुरु है।

यह कविता कक्षा 4 से 7 तक के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि यह नैतिक मूल्यों, सकारात्मक सोच और संस्कारों को सरल शब्दों में समझाती है। जीवन को सफल और सुखमय बनाने के लिए हमें हर दिन कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए — यही इस कविता का मुख्य संदेश है।

सीखो  

जीवन को सफल एवं सुखमय बना सकते हैं,  
'सीखो' कविता का मूलभाव यही है।  

फूलों से नित हँसना सीखो,  
भौंरों से नित गाना।  

तरु की झुकी डालियों से नित,  
सीखो शीश झुकाना।  

सीख हवा के झोंकों से लो,  
कोमल भाव बहाना।  

दूध और पानी से सीखो,  
मिलना और मिलाना।  

सूरज की किरणों से सीखो,  
जगना और जगाना।  

लता और पेड़ों से सीखो,  
सबको गले लगाना।  

मछली से सीखो स्वदेश के  
लिए तड़पकर मरना।  

पतझड़ के पेड़ों से सीखो,  
दुख में धीरज धरना।

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