Moral Story: संसार को प्रसन्न करना कठिन
एक बार एक पिता-पुत्र एक घोड़ा लेकर जा रहे थे। पुत्र ने पिता से कहा ‘‘आप घोड़े पर बैठें, मैं पैदल चलता हूं"। पिता घोडे़ पर बैठ गया। मार्ग से जाते समय लोग कहने लगे, ‘‘बाप निर्दयी है। पुत्र को धूप में चला रहा है।
एक बार एक पिता-पुत्र एक घोड़ा लेकर जा रहे थे। पुत्र ने पिता से कहा ‘‘आप घोड़े पर बैठें, मैं पैदल चलता हूं"। पिता घोडे़ पर बैठ गया। मार्ग से जाते समय लोग कहने लगे, ‘‘बाप निर्दयी है। पुत्र को धूप में चला रहा है।
एक घने जंगल में एक बड़ा-सा नाग रहता था। वह चिड़ियों के अंडे, मेढ़क तथा छिपकलियों जैसे छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को खाकर अपना पेट भरता था। रातभर वह अपने भोजन की तलाश में रहता और दिन निकलने पर अपने बिल में जाकर सो जाया करता।
एक दस वर्षीय लड़का रोज अपने पिता के साथ पास की पहाड़ी पर सैर को जाता था। एक दिन लड़के ने कहा, ‘‘पिताजी चलिए आज हम दौड़ लगाते हैं, जो पहले चोटी पर लगी उस झंडी को छू लेगा वो रेस जीत जाएगा"।
एक शहर में एक धनवान व्यक्ति रहता था। वह बहुत बड़ा व्यवसायी था और उसके पास किसी भी वस्तु की कमी नहीं थी लेकिन फिर भी वह हमेशा चिंतित और बेचैन रहता था। एक दिन वह एक गाँव में ऋषि से मिलने उनके आश्रम गया।
एक जंगल में एक बाघ रहता था, उसका एक बच्चा भी था। दोनों एक साथ रहते थे। बाघ दिन में शिकार करने जंगल में चला जाता था, पर बच्चा अपनी मांद के आस पास ही रहता था। उस जंगल में एक गाय भी रहती थी।
एक छोटा लड़का अपने स्कूल की मैगजीन बेच रहा था और एक ऐसे घर पर पहुंचा जो बहुत पुराना और जर्जर था। इस घर में एक वृद्ध व्यक्ति रहता था जो न तो बाहर आता था और न ही पड़ोसियों से या आने-जाने वालों से कोई संबंध रखता था।
एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत पेरशान था। वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहता तो एक ही जवाब मिलता, ‘‘अभी मैं इतना छोटा हूं... धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा"।