Moral Story: सत्य का संपर्क
उज्जयिनी के तत्कालीन प्रसिद्ध राजा भोज ने स्वप्न में एक दिव्य पुरूष को देखा तो उनके आने का कारण पूछा। उसने बताया "मैं सत्य हूं और तेरा भ्रम दूर करने आया हूं।” राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ।
उज्जयिनी के तत्कालीन प्रसिद्ध राजा भोज ने स्वप्न में एक दिव्य पुरूष को देखा तो उनके आने का कारण पूछा। उसने बताया "मैं सत्य हूं और तेरा भ्रम दूर करने आया हूं।” राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ।
किसी गांव में एक भक्त रहता था लोगों का मानना था कि उन्हें ईश्वर ने दर्शन दिए हैं, इसलिये गांव में उनकी बड़ी मान्यता थी। एक दिन गांव में बाढ़ आई। भक्त के चाहने वाले उन्हें बचाकर अपने साथ ले जाने के लिए उनके पास पहुंचे।
राजेश और अनुराग बहुत गहरे दोस्त थे दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। लेकिन दोनों के स्वभाव में अंतर था। राजेश किसी भी बात पर जल्दी गुस्सा हो जाता था। इसीलिए उसका किसी न किसी से झगड़ा हो जाता था।
विनोद एक बहुत शरारती लड़का था वह माता-पिता का इकलौता बेटा था उन के लाड-प्यार से इतना बिगड़ चुका था कि उसको समझाना बिल्कुल व्यर्थ होकर रह गया था वह स्कूल में जाता तो शरारत करता राहगीरों को परेशान करता।
सुन्दर वन में चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। मौसम कुछ ऐसा था कि कब आंधी आ जाये, इसका कोई ठिकाना नहीं था। मौसम के बदलते रूख से वन के पशु-पक्षी बेचैनी का अनुभव कर रहे थे उसी वन के निवासी एक मादा तोते ने दो अंडे दिये।
एक बार कक्षा में किसी अध्यापक ने बारह वर्षीय प्रफुल्ल से यूं ही पूछा, ‘पढ़ लिखकर तुम क्या बनना चाहोगे?’ ‘डाक्टर झट से उसने जवाब दिया। ‘डाक्टर ही क्यों?’ क्योंकि हमारे देश में अधिकतर लोग गरीब हैं।
एक किसान के दो बेटे थे रमन और हरीश। रमन बड़ा था और हरीश छोटा था। किसान दिन रात मेहनत करता था। वह चाहता था कि किसी तरह उसके दोेनों लड़के पढ़ लिख जाएं। लेकिन रमन को पढ़ाई लिखाई से जितना लगाव था।