बच्चों की हिंदी प्रेरक कहानी: मामूली सा पत्थर
एक किसान था, वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था। उस खेत के बीचों-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था।
एक किसान था, वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था। उस खेत के बीचों-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था।
रविवार का दिन यानि छुट्टी का दिन और उस पर से ठंड का मौसम यानि दिसंबर का महीना। रूपेश के घर आज उसके सभी दोस्त मौजूद थे और आंगन में धूप में कुर्सी टेबल जमाए रूपेश अपने दोस्तों के साथ कैरम के खेल में पूरी तरह खोया हुआ था।
रजत का मन पढ़ने लिखने में कम खेलने में ज्यादा लगता था। उसके सहपाठी परीक्षा में जहां बहुत अच्छे नंबरों से पास होते थे, वहीं रजत किसी तरह पास करता था। उसकी पोजिशन सबसे अंत में आती थी।
बहुत पुरानी बात है। गाजीपुर रियासत में अहमद नाम का एक व्यक्ति रहता था। अहमद बेहद सच्चा और ईमानदार था। इसलिए पूरे गाजीपुर में सभी उसकी इज्जत करते थे। एक बार अहमद को किसी काम से बाहर जाना पड़ा।
किसी जमाने में एक गरीब आदमी अपना खेत जोत रहा था। कि उसके हल की फल किसी कठोर चीज से टकरायी। उस व्यक्ति ने बैलों को रोक दिया और यह देखने के लिए झुका कि वह कया चीज है। चीज देख कर वह अचम्भे में पड़ गया।
एक बार विद्यासागर जी बाजार से गुजर रहे थे। रास्ते में एक बालक उनके सामने हाथ फैलाकर एक पैसा मांगने लगा। विद्यासागर जी उस बालक से बोले "यदि मैं तुम्हें एक पैसे के स्थान पर एक रूपया दूं तो तुम क्या करोगे?"
मोनू की ज़िद्दी आदत से घर के सभी लोग परेशान थे। जिद करना तो उसकी रोज की दिनचर्या बन गई थी। कभी खिलौने को तो कभी खाने-पीने की वस्तुओं की। आज स्कूल से लौटकर घर में घुसते ही मोनू ने पूछा।